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योगी जी की नई पहल: गोरखपुर में शुरू होगा पालना आश्रय… यहां छोड़ सकेंगे लावारिस बच्चे

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गोरखपुर:  मामूमों को फेंके नहीं हमें दें, ये शब्द सुनने में जितने अच्छे लग रहे हैं, उतने ही अच्छे इसके मकसद हैं। जीहां, एक एसी संस्था जो राजस्थान के बाद यूपी के गोरखपुर में पालना आश्रय स्थल के नाम से आई है।

दरअसल, तमाम ऐसी माताएं है, जो किसी न किसी मजबूरी के कारण अपने बच्चे को लावारिस जगहों पर छोड़ कर चली जाती हैं, और ऐसे तमाम मासूम काल के गाल में समा जाते हैं। लेकिन अब ऐसे में मासूमों के लिए ये पालना मां की गोद साबित होगा। गोरखपुर में लावारिस मिलने वाले बच्चों को यहां बकायदा पालन-पोषण दिया जाएगा।

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BRD में भी शुरू होगा पालना आश्रय
खास बात यह है कि गोरखपुर के जिला अस्पताल में चल रहा यह पालना आश्रय अब BRD मेडिकल कॉलेज में भी शुरू होगा, जिससे लावारिस बच्चों की जान और भविष्य दोनों बचाया जा सकेगा। इसके लिए संस्था की ओर से तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं।

…ताकि कोई बच्चा ना हो लावारिस
इस पालना आश्रय की शुरुआत मां भगवती विकास संस्थान के संस्थापक योग गुरु देवेंद्र अग्रवाल की ओर से किया गया है। इस संस्थान का उद्देश्य लावारिस बच्चों के भविष्य और जिंदगियों को बचाना है। ऐसे में इस सराहनीय कार्य की शुरुआत राजस्थान से शुरू की गई है, और वहां करीब 95 मासूमों की जान भी बचाई गई है।

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बच्चा छोड़ने वालों की पहचान होगी गोपनीय
संस्थापक योग गुरु देवेंद्र अग्रवाल ने बताया, जल्द ही मेडिकल कॉलेज में भी होगी पालना आश्रय की शुरुआत की जाएगी, हालांकि अभी तक इसकी व्यवस्था सिर्फ गोरखपुर के जिला अस्पताल में ही है, जहां गरीब या लाचार मां अपने बच्चे को पालना आश्रय मैं रख देगी और चली जाएंगी। बच्चे को रखे जाने वाले की पहचान भी गोपनीय रखी जाएगी, और उस बच्चे की देख रेख फिर आश्रय की जिम्मेदारी होगी।

ऐसे होता है बच्चों का रख रखाव
सीएमओ डॉ आशुतोष दुबे के मुताबिक पालना की शुरूआत 3 महीने पहले जिला अस्पताल में की गई है। जहां एक इलेक्ट्रॉनिक सेंटर लगाया गया है। कोई भी परिजन अपने बच्चे को वहां रख कर जाएंगे, फिर दो मिनट बाद एक अलार्म बजता है। जिसके बाद डॉक्टर तुरंत आते हैं, और बच्चे को अपने पास ले जाते हैं। इसके बाद एक टीम बच्चे की देखरेख करती है।

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इसके साथ ही जिला प्रशासन के संज्ञान में भी उस बच्चे की मौजूदगी डाल दी जाती है। फिर जो कोई इच्छुक होते हैं, वह कागजी कार्रवाई करने के बाद जिला प्रशासन से उस बच्चे को ले सकते हैं।

बचाई जा सकेंगी मासूमों की जिंदगियां
वहीं, सांसद रवि किशन ने कहा, गोरखपुर के जिला अस्पताल के परिसर से इसकी शुरुआत की जा चुकी है। यूपी में ये पहला पालना वाला प्रोजेक्ट है, जिसके जरिये उन तमाम मासूमो की जिंदगियो को बचाई जा सकेगी, जो जिन्दगी के रंग देखने बगैर इस दुनिया से चले जाते थे।

अब इस पालना के जरिये न केवल उन्हें जिन्दगी मिलेगी, बल्कि उनकी देख भाल भी अछे से हो सकेगी। निश्चित रूप से पालना आश्रय के जरिये अब सैकड़ों मासूमो की जिंदगियों को बचाया जा सकेगा।

 

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