दिल्ली के लाल किला ब्लास्ट में शरीर इतनी बुरी तरह जल गए कि परिजन अपने प्रियजनों को टैटू और फटे कपड़े देखकर पहचान पाए।
दिल्ली धमाके के शिकारों के परिवारों को हुई पहचान में भारी कठिनाई, केवल टैटू और कपड़े रहे सहारा
दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके में 12 लोगों की जान चली गई और कई घायल हुए। धमाके की तीव्रता इतनी अधिक थी कि कई शव जलकर बेबार पहचान रह गए थे। इस कठिन दौर में पीड़ित परिवारों ने अपने प्रियजनों की पहचान टैटू और फटे कपड़ों के आधार पर की।
परिजन इस बात पर द्रवित हो गए कि एक-दूसरे से बिछड़े अपने अपनों को पहचानने के लिए केवल इतने कम साधन ही उनके पास थे। यह एक बेहद दर्दनाक और संवेदनशील प्रक्रिया थी जिससे गुजरना हर किसी के लिए मुश्किल था।
शवों की स्थिति इतनी खराब थी कि सामान्य दृश्य पहचान लगभग असंभव हो गई थी, जिससे फोरेंसिक विभाग को भी भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
इन कठिनाइयों के बीच परिवार के सदस्यों ने अपनी मानसिक ताकत दिखाई और पुलिस व फोरेंसिक टीम के सहयोग से मृतकों को सम्मानजनक पहचान दिलाई।
यह घटना न केवल एक आतंकवादी हमले का दुखद पहलू है, बल्कि परिवारों के लिए भी सामाजिक और भावनात्मक संकट लेकर आई है।
FAQs:
- लाल किला धमाके के शवों की पहचान में किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
- परिजन अपने प्रियजनों को कैसे पहचान पाए?
- फोरेंसिक टीम ने इस मामले में क्या प्रक्रिया अपनाई?
- पीड़ित परिवारों के लिए यह अनुभव कितना कठिन था?
- इस घटना से क्या सामाजिक और मानवीय संदेश निकलते हैं?
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