सूरज के वायुमंडल (Coronal Rain) में Plasma की बारिश (Coronal Rain) क्यों और कैसे होती है? वैज्ञानिकों ने इसका राज खोज निकाला। जानें कैसे समुद्र के पानी से 50,000 गुना ज्यादा गर्म पदार्थ बूंदों के रूप में सूर्य की सतह पर गिरता है और क्या है इसके पीछे का Magnetic Reconnection Theory।
सूरज पर ‘Coronal Rain’:वैज्ञानिकों ने खोजा समुद्र से 50,000 गुना ज्यादा गर्म बारिश का राज
हम सभी ने बादलों से पानी की बारिश होते देखी है। लेकिन क्या आप सोच सकते हैं कि सूरज पर भी बारिश होती है? जी हां, यह कोई मजाक नहीं है। सूर्य के वायुमंडल में लगातार ‘बारिश’ होती रहती है, लेकिन यह बारिश पानी की नहीं, बल्कि अत्यधिक गर्म प्लाज्मा (Plasma) की होती है, जिसका तापमान लाखों डिग्री सेल्सियस होता है। इस अद्भुत घटना को ‘कोरोनल रेन’ (Coronal Rain) कहा जाता है।
वैज्ञानिक दशकों से इस रहस्यमयी घटना के पीछे के कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रहे थे। अब, हाल ही में हुई एक नई रिसर्च ने आखिरकार इस पहेली को सुलझा लिया है। इस स्टडी ने खुलासा किया है कि आखिर कैसे और क्यों सूर्य के कोरोना (बाहरी वायुमंडल) में मौजूद अत्यधिक गर्म प्लाज्मा अचानक ठंडा होकर घनीभूत (Condense) होता है और बूंदों के रूप में सूर्य की सतह पर वापस गिरने लगता है।
आज के इस लेख में, हम इस हैरान कर देने वाली खगोलीय घटना के बारे में विस्तार से जानेंगे। हम समझेंगे कि कोरोनल रेन क्या है, यह कैसे बनती है, और वैज्ञानिकों ने इसके रहस्य को कैसे सुलझाया।
Coronal Rain क्या है? सूर्य का अदृश्य मौसम चक्र
सूर्य का सबसे बाहरी वायुमंडल, जिसे ‘कोरोना’ (Corona) कहते हैं, अविश्वसनीय रूप से गर्म है – इसका तापमान 10 लाख डिग्री सेल्सियस से भी अधिक हो सकता है। यह सूर्य की सतह (फोटोस्फीयर) के तापमान (लगभग 5,500°C) से हजारों गुना ज्यादा गर्म है, जो अपने आप में एक बड़ा वैज्ञानिक पहेली है।
इसी कोरोना में, विशालकाय चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं (Magnetic Field Lines) मेरुदंड (Loops) का आकार बनाती हैं, जो सूर्य की सतह से हजारों किलोमीटर ऊपर तक जाती हैं। कोरोनल रेन तब होती है जब इन्हीं चुंबकीय लूप्स के शिखर पर मौजूद अति-गर्म प्लाज्मा (आयनित गैस) अचानक ठंडा होकर घनीभूत हो जाता है और बड़ी-बड़ी गोलाकार बूंदों (Globules) के रूप में सूर्य की सतह पर वापस गिरने लगता है।
- तापमान: इन प्लाज्मा बूंदों का तापमान भी लगभग 50,000 डिग्री सेल्सियस होता है, जो समुद्र के पानी से लगभग 50,000 गुना अधिक गर्म है।
- आकार: ये बूंदें इतनी विशाल होती हैं कि इनमें से एक बूंद पूरे आयरलैंड देश जितनी बड़ी हो सकती है!
- गति: ये बूंदें लगभग 2,00,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सूर्य की सतह पर गिरती हैं।
क्या है Coronal Rain के पीछे का नया रहस्य?
पहले वैज्ञानिक मानते थे कि कोरोनल रेन केवल सूर्य पर होने वाले बड़े विस्फोटों (Solar Flares) के बाद ही होती है। लेकिन नई रिसर्च ने इस थ्योरी को बदल दिया है। अब पता चला है कि यह बारिश छोटे पैमाने पर, लगभग लगातार होती रहती है, और इसके लिए बड़े सोलर फ्लेयर जिम्मेदार नहीं हैं।
नए शोध के अनुसार, कोरोनल रेन का मुख्य कारण है – ‘चुंबकीय पुनः संयोजन’ (Magnetic Reconnection)।
यह प्रक्रिया कैसे काम करती है, इसे चार स्टेप्स में समझें:
स्टेप 1: चुंबकीय क्षेत्रों का टकराव (Collision of Magnetic Fields)
सूर्य की सतह पर लगातार हलचल होती रहती है। इसके कारण, चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं टूटती, बदलती और एक-दूसरे से टकराती रहती हैं।
स्टेप 2: चुंबकीय पुनः संयोजन (Magnetic Reconnection) और ऊर्जा का विस्फोट
जब ये चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं टकराकर दोबारा जुड़ती हैं, तो इस प्रक्रिया में भारी मात्रा में ऊर्जा अचानक release होती है, ठीक किसी विस्फोट की तरह। यह ऊर्जा आसपास के प्लाज्मा को और भी ज्यादा गर्म (लगभग 10 लाख डिग्री सेल्सियस तक) कर देती है।
स्टेप 3: तीव्र शीतलन (Rapid Cooling) और संघनन (Condensation)
इस विस्फोट के बाद, प्लाज्मा में एक तीव्र शीतलन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। प्लाज्मा से ऊर्जा तेजी से निकलती है और वह ठंडा होकर घनीभूत होने लगता है। यह ठीक वैसा ही है जैसे पृथ्वी पर गर्म हवा में मौजूद जलवाष्प ठंडा होकर बादल और फिर बारिश की बूंदों में बदल जाता है।
स्टेप 4: बारिश का गिरना (Rainfall)
अब यह घनीभूत, गर्म प्लाज्मा भारी हो जाता है और सूर्य के तीव्र गुरुत्वाकर्षण के कारण, चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के सहारे-सहारे सीधे सूर्य की सतह पर वापस गिरने लगता है। यही कोरोनल रेन है।
यह खोज इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?
इस खोज के केवल दो ही नहीं, बल्कि कई महत्वपूर्ण मायने हैं:
- सोलर कोरोना हीटिंग प्रॉब्लम को समझने में मदद: सूर्य की सतह उसके वायुमंडल (कोरोना) से हजारों गुना ठंडी क्यों है? यह सबसे बड़ा अनसुलझा सवाल है। कोरोनल रेन की यह प्रक्रिया हमें कोरोना के तापमान और उसमें होने वाली ऊर्जा की लगातार आवाजाही को समझने में मदद करेगी।
- स्पेस वेदर की बेहतर भविष्यवाणी: सूर्य पर होने वाली ये घटनाएं ‘स्पेस वेदर’ (अंतरिक्ष मौसम) को प्रभावित करती हैं। चुंबकीय पुनः संयोजन से सोलर फ्लेयर और कोरोनल मास इजेक्शन (CME) जैसी शक्तिशाली घटनाएं होती हैं, जो पृथ्वी पर GPS, संचार उपग्रहों और बिजली ग्रिड को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इन प्रक्रियाओं को बेहतर ढंग से समझकर हम इनके प्रभावों की भविष्यवाणी कर सकते हैं।
- ब्रह्मांड की समझ: सूर्य एक साधारण तारा है। इसलिए, सूर्य पर होने वाली प्रक्रियाओं का अध्ययन हमें ब्रह्मांड के अन्य अरबों तारों पर होने वाली घटनाओं को समझने में भी मदद करेगा।
सूर्य एक जीवंत और गतिशील तारा है
कोरोनल रेन की खोज हमें यह याद दिलाती है कि सूर्य एक शांत, स्थिर गेंद नहीं है, बल्कि एक अत्यधिक गतिशील, जीवंत और हिंसक तारा है, जिस पर लगातार अविश्वसनीय ऊर्जा वाली घटनाएं घटित होती रहती हैं। यह शोध न केवल एक पुराने रहस्य को सुलझाता है, बल्कि हमारे अपने तारे और उसके हमारे ग्रह पर पड़ने वाले प्रभाव को गहराई से समझने का एक नया द्वार भी खोलता है। अगली बार जब आप सूरज की रोशनी देखें, तो याद रखें कि उसकी सतह के ऊपर एक ऐसा वायुमंडल है जहाँ हर पल लाखों डिग्री गर्म प्लाज्मा की बारिश हो रही है – यह ब्रह्मांड का एक और अद्भुत और विस्मयकारी नजारा है।
FAQs
1. क्या हम पृथ्वी से कोरोनल रेन देख सकते हैं?
साधारण आंखों से नहीं, क्योंकि सूर्य का प्रकाश बहुत तेज होता है। लेकिन विशेष सोलर टेलीस्कोप (जैसे NASA का सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी – SDO) और कोरोनाग्राफ (जो सूर्य के मुख्य भाग की चमक को ब्लॉक कर देता है) की मदद से वैज्ञानिक कोरोनल रेन को विस्तार से देख और अध्ययन कर सकते हैं।
2. क्या कोरोनल रेन का पृथ्वी पर कोई सीधा प्रभाव पड़ता है?
कोरोनल रेन का पृथ्वी पर कोई सीधा और तत्काल प्रभाव नहीं पड़ता। हालांकि, जिस ‘मैग्नेटिक रिकनेक्शन’ की प्रक्रिया से यह बारिश शुरू होती है, वही प्रक्रिया बड़े सोलर फ्लेयर्स और CMEs को जन्म दे सकती है, जो पृथ्वी के स्पेस वेदर को प्रभावित करते हैं और हमारी तकनीकी व्यवस्थाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
3. क्या ब्रह्मांड में अन्य तारों पर भी कोरोनल रेन होती है?
वैज्ञानिकों का मानना है कि हां, कोरोनल रेन जैसी घटनाएं ब्रह्मांड के अन्य सक्रिय तारों पर भी होती होंगी। चूंकि सूर्य हमारे सबसे नजदीक का तारा है, इसलिए इसका अध्ययन करके हम अन्य तारों पर होने वाली समान प्रक्रियाओं के बारे में अनुमान लगा सकते हैं।
4. Plasma क्या होता है?
प्लाज्मा पदार्थ की चौथी अवस्था है (ठोस, तरल, गैस के बाद)। यह एक ऐसी गैस है जो इतनी गर्म होती है कि उसके अणुओं से इलेक्ट्रॉन अलग हो जाते हैं और वह आयनित (चार्ज्ड) कणों का एक सूप बन जाती है। ब्रह्मांड में दिखने वाले 99% पदार्थ प्लाज्मा अवस्था में ही हैं। सूर्य और अन्य तारे प्लाज्मा से ही बने हैं।
5. क्या Coronal Rain सूर्य को ठंडा कर देती है?
नहीं, कोरोनल रेन सूर्य के समग्र तापमान पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं डालती। यह एक स्थानीय और निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जो सूर्य के कोरोना के भीतर ही ऊर्जा के पुनर्चक्रण (Recycling) का काम करती है। गर्म प्लाज्मा ऊपर जाता है, ठंडा होकर वापस गिरता है, और फिर से गर्म हो जाता है।
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