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Mokshada Ekadashi 2025 कब है? क्या खाएं, क्या न खाएं और कैसे मनाएं

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Mokshada Ekadashi 2025 rituals and fasting
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Mokshada Ekadashi 2025, 1 दिसंबर को। जानें व्रत का सही समय, पूजा विधि, क्या खाएं और क्या न खाएं, और इस शुभ दिन के लाभ। 

Mokshada Ekadashi 2025: व्रत का महत्व, पूजन विधि और नियम

मोक्षदा एकादशी क्या है?

मोक्षदा एकादशी हिन्दू धर्म का एक बहुत पवित्र व्रत है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है, वर्ष 2025 में यह 1 दिसंबर को पड़ेगी। इस दिन किए गए व्रत और पूजा से व्यक्ति को अपने पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग मिलता है। साथ ही, यह व्रत अपने पूर्वजों के उद्धार का भी कारण माना जाता है।

मोक्षदा एकादशी का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मोक्षदा एकादशी का पालन करने से भक्त को ज़िन्दगी में शांति, समृद्धि और विष्णु जी की कृपा मिलती है। यह दिन भगवद गीता की शिक्षा भी देता है क्योंकि इसी दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। इस दिन व्रती को गुरु मंत्रों का जाप, कीर्तन, और दान-पुण्य करना चाहिए जिससे पुण्य अर्हत होता है और मोक्ष की प्राप्ति आसान होती है।

Mokshada Ekadashi 2025 का व्रत कैसे रखें?

  • व्रत का आरंभ मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के सूर्योदय से होता है और अगले दिन सूर्योदय तक चलता है।
  • प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • भगवान विष्णु की पूजा करें। तुलसी के पत्ते, फूल, दीप और मिठाई जैसे प्रसाद अर्पित करें।
  • दिन में केवल एक बार या पूरी तरह निर्जल (जल बिना) व्रत रख सकते हैं।
  • फलाहार में केले, सेब, नारंगी, अंगूर, दूध, दही, घी और हल्के स्नैक्स खा सकते हैं।
  • चावल, दाल, प्याज, लहसुन, मांसाहारी और तामसिक भोजन से बचें।
  • दिनभर भजन-कीर्तन और मनोयोग से मंत्र जाप करें।
  • रात को करनी चाहिए तुलसी पूजा और धीरे-धीरे व्रत पूरा करें।

पूजा की मुख्य बातें और मंत्र

  • भगवान विष्णु के चरणों में जल और अक्षत (चावल) अर्पित करें।
  • विष्णु सहस्रनाम का जाप करें।
  • भगवद गीता के अध्याय पढ़ें।
  • मंत्र: ॐ नमो भगवते वासुदेवाय, ॐ नमो नारायणाय का जाप करें।
  • तुलसी की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है।

क्या खाएं और क्या न खाएं?

खाना खाएंखाना ना खाएं
केले, सेब, संतरा, अंगूरचावल, दाल, मसूर, उड़द
दूध, दही, घी, पनीरप्याज, लहसुन, मांस, मदिरा
हल्का सेंधा नमकबासी या दोबारा गर्म किया खाना
साबुत अनाज, मेवे (हल्के)भारी मसाले, तामसिक वस्तुएं

व्रत के दौरान क्या करें?

  • मानसिक शुद्धि के लिए ध्यान करें, अहंकार और क्रोध से दूर रहें।
  • दूसरों के प्रति दया और सहानुभूति रखें।
  • परिवार के साथ भगवान विष्णु की कथा सुनें और बांटें।
  • दान, सेवा और भजन की महत्ता बढ़ाएं।

मोक्षदा एकादशी के फायदे

  • यह व्रत मानसिक और शारीरिक शांति तथा स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
  • पवित्र भोजन और उपवास से शरीर का विषाक्त पदार्थ कम होता है।
  • आध्यात्मिक दृष्टि से मोक्ष की प्राप्ति की आशा बढ़ती है।
  • व्रत पुराणों के अनुसार मृत्यु के पश्चात अच्छे स्थान की प्राप्ति करता है।

मोक्षदा एकादशी 2025 का समय और पारण

  • एकादशी तिथि की शुरुआत 30 नवंबर 2025 को रात 9:29 बजे होगी।
  • एकादशी का समापन 1 दिसंबर 2025 को शाम 7:01 बजे होगा।
  • पारण का शुभ मुहूर्त 2 दिसंबर 2025 की सुबह 6:57 बजे से 9:03 बजे तक है।
  • पारण के बाद व्रत समाप्त माना जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

  1. मोक्षदा एकादशी 2025 कब है?
  • यह 1 दिसंबर 2025 को मनाई जाएगी।
  1. मोक्षदा एकादशी का व्रत कैसे करता है?
  • निर्जल या फलाहारी व्रत रखा जाता है, तुलसी पूजा की जाती है और भगवान विष्णु की आराधना होती है।
  1. एकादशी व्रत में क्या न खाएं?
  • चावल, दाल, प्याज, लहसुन, मांसाहारी और मदिरा से बचना चाहिए।
  1. पारण कब किया जाता है?
  • अगले दिन सुबह 6:57 बजे से 9:03 बजे के बीच।
  1. मोक्षदा एकादशी का धार्मिक महत्व क्या है?
  • यह व्रत मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है और पितरों के उद्धार का कारण।
  1. व्रत के दौरान कौन से मंत्र जपें?
  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय, विष्णु सहस्रनाम, भगवद गीता पाठ उचित रहता है।

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