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2025 के बाद कौन सा Workout आपके लिए सही?Walking,Running or Strength Training

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Walking,Running or Strength Training, HYROX और फंक्शनल ट्रेनिंग ट्रेंड्स के बाद अब जानें, आपकी उम्र, हेल्थ और टाइम के हिसाब से कौन सा वर्कआउट सबसे बेहतर है।

2025 के बाद Fitness की नई दिशा


2025 में Walking,Running or Strength Trainingऔर फंक्शनल ट्रेनिंग जैसे ट्रेंड्स ने फिटनेस दुनिया को पूरी तरह बदलकर रख दिया। इंटरनेट और सोशल मीडिया की वजह से अब लोगों के पास एक्सरसाइज़ के ढेरों ऑप्शंस हैं, लेकिन कन्फ्यूज़न भी उतना ही बढ़ गया है।
सबसे बड़ा सवाल यह है – इतने सारे वर्कआउट स्टाइल्स में से आपके लिए सही क्या है, और ऐसा क्या चुना जाए जिसे आप सालभर लगातार कर सकें। सही जवाब के लिए आपकी उम्र, हेल्थ, टाइम, गोल्स और साइंटिफिक रिसर्च – सबको साथ में देखना ज़रूरी है।

क्यों नियमित शारीरिक गतिविधि ज़रूरी है
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 18 से 64 साल के वयस्कों को हफ्ते में कम से कम 150–300 मिनट मीडियम इंटेंसिटी गतिविधि (जैसे तेज़ चाल से चलना) या 75–150 मिनट विगorous गतिविधि (जैसे दौड़ना) करनी चाहिए, साथ ही हफ्ते में 2 दिन मसल स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज़ ज़रूर शामिल होनी चाहिए।
रिसर्च बताती है कि नियमित चलना और अन्य हल्की–मध्यम एक्सरसाइज़ हार्ट डिज़ीज, स्ट्रोक, डायबिटीज, मोटापा, डिप्रेशन और कई क्रॉनिक बीमारियों के रिस्क को कम कर सकती हैं और उम्र बढ़ने के साथ फंक्शनल क्षमता बचाए रखती हैं।

  • अगर आप पूरे दिन बैठकर काम करते हैं, तो थोड़ी–सी नियमित एक्टिविटी भी आपके हेल्थ मार्कर्स में बड़ा फर्क ला सकती है।
  • दिन में 8–10 हज़ार कदम के आसपास चलना कई स्टडीज़ में बेहतर हार्ट हेल्थ और कम क्रॉनिक डिज़ीज़ रिस्क से जुड़ा पाया गया है।

सेक्शन 1: वॉकिंग और रनिंग – सबसे आसान लेकिन बेहद असरदार

वॉकिंग क्यों सबसे आसान शुरुआत है
तेज़ चाल से चलना (ब्रिस्क वॉकिंग) कम जॉइंट स्ट्रेस के साथ कार्डियो हेल्थ के लिए बेहद असरदार माना जाता है। स्टडीज़ में पाया गया है कि जो लोग रेगुलर वॉक से फिजिकल एक्टिविटी गाइडलाइंस पूरी करते हैं, उनमें कार्डियोवस्कुलर इवेंट्स (हार्ट अटैक, स्ट्रोक आदि) का रिस्क लगभग 30 प्रतिशत तक कम देखा गया।
वॉकिंग से वजन नियंत्रण, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल, टाइप–2 डायबिटीज, कुछ कैंसर और डिप्रेशन जैसी समस्याओं के रिस्क में कमी देखी गई है, खासकर अगर आप रोज़ाना पर्याप्त कदम चलते हैं और स्पीड थोड़ी तेज़ रखते हैं।

  • किसके लिए बेहतर: शुरुआती लोग, ओवरवेट/ओबेस व्यक्ति, जॉइंट दर्द वाले, सीनियर सिटिज़न, या जिनके पास जिम जाने का समय नहीं है।
  • मिनिमम टारगेट: रोज़ कम से कम 30 मिनट ब्रिस्क वॉक, हफ्ते में 5 दिन (कुल 150 मिनट)।

रनिंग के फायदे और सावधानियाँ
दौड़ना दिल और फेफड़ों की क्षमता को तेज़ी से बढ़ाता है और कम समय में ज़्यादा कैलोरी बर्न कर सकता है। कुछ रिसर्च में 25 मिनट की नियमित रनिंग या लगभग 100 मिनट की वॉकिंग, दोनों को ही करीब 35 प्रतिशत तक लोअर मोर्टैलिटी रिस्क से जोड़ा गया है, यानी लंबी उम्र की संभावना बढ़ सकती है।
लेकिन हाई इम्पैक्ट होने की वजह से रनिंग घुटनों और हिप जॉइंट्स पर ज़्यादा लोड डाल सकती है, खासकर यदि टेक्निक सही न हो या बहुत जल्दी ज़्यादा दूरी बढ़ा दी जाए। इसलिए सही शूज़, ग्रेजुअल प्रोग्रेस और वार्म–अप बहुत ज़रूरी है।

  • किसके लिए बेहतर: जिनका वज़न बहुत ज़्यादा नहीं है, जिनकी जॉइंट हेल्थ ठीक है, और जिनको हाई इंटेंसिटी पसंद है।
  • सावधानी: अगर घुटनों में दर्द, हार्ट की पुरानी बीमारी या बहुत ज़्यादा वजन है, तो पहले डॉक्टर और फिजियो से सलाह लेना बेहतर है।

सेक्शन 2: पिलेट्स – कम इम्पैक्ट, हाई बेनिफिट

पिलेट्स क्या है और कैसे काम करता है
पिलेट्स एक लो–इम्पैक्ट एक्सरसाइज़ सिस्टम है जो कोर मसल्स (पेट, लोअर बैक, हिप, ग्लूट्स) की स्ट्रेंथ, फ्लेक्सिबिलिटी और बॉडी अलाइनमेंट पर फोकस करता है। इसे पहले रिहैब और रिकवरी के लिए विकसित किया गया था, लेकिन अब यह मेनस्ट्रीम फिटनेस ट्रेंड बन चुका है।
स्टडीज़ और हेल्थ गाइड्स के अनुसार पिलेट्स से फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है, मांसपेशियों की ताकत और टोनिंग बेहतर होती है, पोस्ट्चर सुधरता है और बैक पेन में राहत मिल सकती है, क्योंकि यह स्पाइन स्टेबिलिटी और मसल बैलेंस पर काम करता है।

  • 2025 में भारत के मेट्रो शहरों में पिलेट्स स्टूडियो की संख्या तेज़ी से बढ़ी और कई सेलेब्रिटीज़ ने इसे अपनी फिटनेस रुटीन का अहम हिस्सा बनाया।
  • इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह हाई इम्पैक्ट जंपिंग या हेवी वेट्स पर कम और कंट्रोल्ड मूवमेंट और ब्रीदिंग पर ज़्यादा निर्भर करता है।

किसके लिए बेस्ट है पिलेट्स

  • ऑफिस में लंबे समय तक बैठने वालों के लिए, जिन्हें नेक, शोल्डर या लोअर बैक में दर्द रहता है।
  • डिलीवरी के बाद धीरे–धीरे कोर मसल्स मजबूत करना चाहने वाली महिलाएँ (डॉक्टर की ओके के बाद)।
  • ऐसे लोग जो रनिंग/जिम करते हैं लेकिन फ्लेक्सिबिलिटी और बॉडी कंट्रोल की कमी महसूस करते हैं, उनके लिए यह एक बेहतरीन सपोर्टिव सिस्टम है।

सेक्शन 3: HYROX और हाइब्रिड फिटनेस – कार्डियो + फंक्शनल स्ट्रेंथ का मिक्स

HYROX क्या है?
HYROX एक ग्लोबल फिटनेस रेस फॉर्मैट है जिसमें 8 किलोमीटर रनिंग और 8 फंक्शनल वर्कआउट स्टेशन्स होते हैं, यानी 1 km रन + 1 वर्कआउट, यह सीक्वेंस कुल 8 बार दोहराया जाता है।
इसमें स्लेज पुश/पुल, वॉल बॉल्स, फार्मर कैरी, रोइंग, लंजेज़ जैसे फंक्शनल मूवमेंट शामिल होते हैं, जो कार्डियो, स्ट्रेंथ और मेंटल टफनेस – तीनों को एक साथ टेस्ट करते हैं।

  • 2025 में HYROX–स्टाइल हाइब्रिड रेस और इवेंट्स भारत के बड़े शहरों में पॉपुलर हुए, खासकर उन फिटनेस उत्साहियों के बीच जो सिर्फ ट्रेडमिल या सिर्फ वेट्स से बोर हो चुके थे।
  • यह फॉर्मैट उन लोगों के लिए आकर्षक है जिन्हें चैलेंज, टाइम–बेस्ड गोल और इवेंट की तैयारी पसंद है।

क्या HYROX–टाइप ट्रैनिंग आपके लिए सही है?

  • अगर आप पहले से बेसिक रनिंग और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग कर रहे हैं, तो हफ्ते में 1–2 सेशन में HYROX–स्टाइल वर्कआउट जोड़ सकते हैं।
  • शुरुआती या जिनको हार्ट/जॉइंट से जुड़ी पुरानी बीमारियाँ हैं, उनके लिए तुरंत हाई इंटेंसिटी रेस में कूदना सही नहीं; पहले बेसिक फिटनेस और मेडिकल क्लियरेंस ज़रूरी है।

सेक्शन 4: स्ट्रेंथ ट्रेनिंग – 30 और 40 के बाद की सबसे ज़रूरी आदत

स्ट्रेंथ ट्रेनिंग क्यों “नॉन–नेगोशिएबल” है
30 की उम्र के बाद शरीर में मसल मास नैचुरली कम होने लगता है, जिसे सरकोपीनिया कहा जाता है। रिसर्च दिखाती है कि रेगुलर स्ट्रेंथ ट्रेनिंग इस मसल लॉस को काफी हद तक स्लो कर सकती है और हड्डियों की मजबूती (बोन डेंसिटी) भी बढ़ाती है, जिससे ओस्टियोपोरोसिस का रिस्क घटता है।
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से जोड़ों के आसपास की मसल्स मजबूत होती हैं, जिससे जॉइंट स्टेबिलिटी और पोस्ट्चर बेहतर होता है, बैक और नी पेन का रिस्क कम होता है और मेटाबॉलिज़्म हेल्दी रहता है, जो वजन नियंत्रण में मदद करता है।

  • किसके लिए ज़रूरी: लगभग हर वयस्क के लिए, खासकर जो 30+, 40+, या सीनियर सिटिज़न हैं और जिन्हें लॉन्ग–टर्म हेल्थ और इंडिपेंडेंस की चिंता है।
  • कितनी बार: हफ्ते में कम से कम 2 दिन सभी मेन मसल ग्रुप्स (लेग्स, चेस्ट, बैक, शोल्डर, कोर) पर काम करना हेल्थ गाइडलाइंस में रिकमेंड किया जाता है।

स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के बेसिक प्रिंसिपल

  • कम्पाउंड मूवमेंट्स पर फोकस: स्क्वाट, डेडलिफ्ट, पुश–अप, रो, ओवरहेड प्रेस जैसे एक्सरसाइज़ एक साथ कई मसल ग्रुप्स पर काम करती हैं।
  • प्रोग्रेसिव ओवरलोड: धीरे–धीरे वजन, रेप्स या सेट्स बढ़ाना ताकि मसल्स को नया स्टिम्युलस मिलता रहे और स्ट्रेंथ बढ़ती रहे।
  • सही फॉर्म: गलत टेक्निक से चोट का रिस्क बढ़ता है, इसलिए शुरुआती फेज में ट्रेनर या फिजियो की गाइडेंस फायदेमंद हो सकती है।

सेक्शन 5: फंक्शनल ट्रेनिंग और मोबिलिटी – रोज़मर्रा की बॉडी मूवमेंट्स के लिए

फंक्शनल ट्रेनिंग क्या है
फंक्शनल स्ट्रेंथ ट्रेनिंग में ऐसी एक्सरसाइज़ शामिल होती हैं जो रोजमर्रा की गतिविधियों जैसे उठना, बैठना, धक्का देना, खींचना, उठाकर ले जाना आदि की नकल करती हैं।
रिसर्च और गाइड्स बताते हैं कि फंक्शनल ट्रेनिंग से बैलेंस, कोऑर्डिनेशन, स्पीड, पावर और एगिलिटी जैसे फिटनेस पैरामीटर्स में सुधार होता है और यह जॉइंट मोबिलिटी, फ्लेक्सिबिलिटी और मूवमेंट क्वालिटी को बेहतर बना सकती है।

  • उदाहरण: केटलबेल स्विंग, फार्मर वॉक, लंज़, स्टेप–अप, मेडिसिन बॉल थ्रो, बर्पी, बियर क्रॉल आदि।
  • फायदा: रोज़मर्रा के काम आसान लगते हैं, सीढ़ियाँ चढ़ना–उतरना, सामान उठाना, बच्चों के साथ खेलना – सब कुछ हल्का लगता है।

मोबिलिटी ट्रेनिंग का महत्व
मोबिलिटी ट्रेनिंग जॉइंट हेल्थ, फ्लेक्सिबिलिटी और फुल रेंज ऑफ मोशन पर फोकस करती है। यह सख्त मसल्स और गलत पोस्ट्चर से होने वाली तकलीफ़ों को कम कर सकती है और एथलेटिक परफॉर्मेंस को सपोर्ट करती है।
फंक्शनल फिटनेस और मोबिलिटी को साथ करके आप चोटों का रिस्क घटा सकते हैं, मूवमेंट पैटर्न सुधार सकते हैं और उम्र बढ़ने के बावजूद एक्टिव रह सकते हैं।

सेक्शन 6: कार्डियो vs स्ट्रेंथ vs फंक्शनल – आपको क्या कितना चाहिए?

नीचे एक सिंपल टेबल है जो अलग–अलग स्टाइल्स की खासियत समझने में मदद करेगी:

व्यायाम शैलीमुख्य फोकसबड़े फायदेकिनके लिए बेहतर
वॉकिंग/रनिंगकार्डियो, हार्ट हेल्थहार्ट और फेफड़ों की क्षमता, वजन नियंत्रण, मूड बेहतर, क्रॉनिक डिज़ीज़ रिस्क कमशुरुआती, वजन घटाना चाहने वाले, हार्ट हेल्थ सुधारने वाले
पिलेट्सकोर, फ्लेक्सिबिलिटी, पोस्ट्चरबैक सपोर्ट, बॉडी अलाइनमेंट, कम इम्पैक्ट, जॉइंट–फ्रेंडलीबैक पेन वाले, डेस्क जॉब, पोस्ट्चर सुधारने वाले
स्ट्रेंथ ट्रेनिंगमसल, बोन, मेटाबॉलिज़्ममसल मास, बोन डेंसिटी, मेटाबॉलिक हेल्थ, जॉइंट स्टेबिलिटी30+, 40+ एडल्ट्स, वजन और स्ट्रेंथ दोनों पर फोकस करने वाले
फंक्शनल + मोबिलिटीमूवमेंट क्वालिटी, बैलेंसरोज़मर्रा की मूवमेंट आसान, बैलेंस, कोऑर्डिनेशन बेहतर, चोट का रिस्क कमहर उम्र के लोग, खासकर जो एक्टिव लाइफ और स्पोर्ट्स पसंद करते हैं
HYROX/हाइब्रिडकार्डियो + स्ट्रेंथ चैलेंजहाई इंटेंसिटी, टाइम–बेस्ड गोल, कार्डियो और स्ट्रेंथ दोनों में सुधारइंटर्मीडिएट/एडवांस फिटनेस लेवल, चैलेंज पसंद करने वाले

सेक्शन 7: अपनी उम्र के हिसाब से स्मार्ट वर्कआउट स्ट्रैटजी

20s: बेस तैयार करने का समय

  • फोकस: टेक्निक, फ्लेक्सिबिलिटी और स्ट्रेंथ की मजबूत नींव बनाना।
  • प्लान: हफ्ते में 2–3 दिन स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, 2–3 दिन कार्डियो (रनिंग/साइक्लिंग/स्पोर्ट), 1 दिन मोबिलिटी या पिलेट्स।

30s: मसल और समय – दोनों को बचाना

  • इस उम्र से मसल लॉस शुरू होने लगता है, इसलिए स्ट्रेंथ ट्रेनिंग को प्राथमिकता देना बहुत ज़रूरी है।
  • प्लान: हफ्ते में कम से कम 3 दिन स्ट्रेंथ, 2 दिन कार्डियो (वॉक/रन/HIIT), रोज़ 5–10 मिनट मोबिलिटी वर्क।

40s और उससे आगे: लॉन्गेविटी और क्वालिटी ऑफ लाइफ

  • स्ट्रेंथ ट्रेनिंग हड्डियों और मसल्स के लिए “इंश्योरेंस पॉलिसी” की तरह काम करती है और बैलेंस व इंडिपेंडेंस बनाए रखने में मदद करती है।
  • प्लान: 2–3 दिन स्ट्रेंथ, 3–4 दिन ब्रिस्क वॉक/लाइट कार्डियो, 2–3 दिन हल्के पिलेट्स या योग–आधारित फ्लेक्सिबिलिटी–मोबिलिटी वर्क।

सेक्शन 8: शुरुआत कैसे करें – प्रैक्टिकल 4–वीक प्लान (जनरल गाइड)

नोट: यह एक जनरल गाइड है; किसी भी नई एक्सरसाइज़ रुटीन से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है, खासकर अगर आपको हार्ट, जॉइंट या अन्य क्रॉनिक हेल्थ कंडीशन है।

  • हफ्ते में 150–180 मिनट वॉक/लाइट कार्डियो टारगेट रखिए – जैसे रोज़ 30–35 मिनट तेज़ चाल से चलना।
  • हफ्ते में 2 दिन बॉडीवेट स्ट्रेंथ (स्क्वाट, लंज, पुश–अप, रो, ग्लूट ब्रिज) शुरू कीजिए; धीरे–धीरे डम्बल या रेसिस्टेंस बैंड जोड़िए।
  • हफ्ते में 1–2 सेशन पिलेट्स–स्टाइल या मोबिलिटी वर्क कीजिए – खासकर स्पाइन, हिप और शोल्डर के लिए।
  • 4वें हफ्ते से अगर आप कम्फर्टेबल हों, तो हफ्ते में 1 सेशन हल्का हाइब्रिड वर्कआउट (जैसे 500 m वॉक/जॉग + 1 फंक्शनल मूवमेंट) जोड़ सकते हैं।

सेक्शन 9: मोटिवेशन और कंसिस्टेंसी – वर्कआउट को आदत कैसे बनाएं

  • छोटे–छोटे गोल रखें: “रोज़ाना 8 हज़ार कदम” या “हफ्ते में 3 स्ट्रेंथ सेशन” जैसे क्लियर गोल कम्फ्यूज़न कम करते हैं।
  • एक्टिविटी को मज़ेदार बनाएं: सिर्फ जिम पर निर्भर न रहें; डांस, स्पोर्ट, ट्रेकिंग, स्किपिंग जैसी चीज़ें भी कार्डियो एक्टिविटी हैं।
  • सोशल सपोर्ट: वॉकिंग ग्रुप, क्लास या ऑनलाइन कम्युनिटी में जुड़ने से मोटिवेशन लंबे समय तक बना रह सकता है।
  • प्रोग्रेस ट्रैक करें: स्टेप काउंट, वेट, रेप्स, या वर्कआउट लॉग – जो भी आपको सूट करे, उसे रिकॉर्ड करें ताकि प्रोग्रेस दिखे।

FAQs

1. अगर मेरे पास दिन में सिर्फ 20–25 मिनट हैं, तो कौन–सा वर्कआउट सबसे बेहतर रहेगा?
कम समय में ज्यादा फायदा लेने के लिए आप तेज़ चाल से वॉक या हल्का जॉग (10–15 मिनट) और उसके बाद 2–3 बॉडीवेट एक्सरसाइज़ (जैसे स्क्वाट, पुश–अप, प्लैंक) कर सकते हैं। रिसर्च के अनुसार छोटे–छोटे हाई–इंटेंसिटी या मॉडरेट–इंटेंसिटी सेशन भी हार्ट हेल्थ और फिटनेस पर अच्छा असर डाल सकते हैं, बशर्ते आप उन्हें नियमित करें।

2. क्या सिर्फ वॉकिंग से ही फिट रहा जा सकता है या स्ट्रेंथ ट्रेनिंग ज़रूरी है?
ब्रिस्क वॉकिंग हार्ट हेल्थ, वजन नियंत्रण और क्रॉनिक डिज़ीज़ रिस्क कम करने में काफी मददगार है, लेकिन सिर्फ वॉकिंग से मसल और बोन स्ट्रेंथ उतनी नहीं बनती जितनी स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से बन सकती है। 30 की उम्र के बाद मसल लॉस और बोन डेंसिटी गिरने को रोकने के लिए हफ्ते में कम से कम 2 दिन स्ट्रेंथ ट्रेनिंग जोड़ना हेल्थ गाइडलाइंस के अनुसार बहुत फ़ायदेमंद माना जाता है।

3. पिलेट्स और योग में से बैक पेन के लिए कौन बेहतर है?
दोनों ही बैक पेन के लिए मददगार हो सकते हैं, लेकिन पिलेट्स का फोकस खास तौर पर कोर मसल्स, स्पाइन स्टेबिलिटी और बॉडी अलाइनमेंट पर होता है, जिससे कई गाइड्स इसे लोअर बैक सपोर्ट के लिए विशेष रूप से फायदेमंद मानते हैं। योग फ्लेक्सिबिलिटी, रिलैक्सेशन और माइंड–बॉडी कनेक्शन पर ज़्यादा फोकस करता है। अगर दर्द पुराना या गंभीर है, तो किसी भी प्रोग्राम से पहले फिजियो या डॉक्टर की सलाह लेना ज़रूरी है।

4. HYROX–टाइप हाइब्रिड ट्रेनिंग शुरू करने से पहले क्या तैयारी चाहिए?
HYROX जैसे इवेंट्स में 8 km रनिंग और 8 फंक्शनल वर्कआउट्स का कॉम्बिनेशन होता है, इसलिए पहले बेसिक रनिंग सहनशक्ति (जैसे लगातार 3–5 km आराम से दौड़ सकना) और बेसिक स्ट्रेंथ (स्क्वाट, पुश–अप, लंज) का स्तर बनाना अच्छा रहता है। आधिकारिक रूलबुक और ट्रेनिंग प्लान्स भी सलाह देते हैं कि कम से कम 8–12 हफ्ते का प्रिपरेशन टाइम रखें, जिसमें रनिंग एंड्यूरेंस, स्ट्रेंथ और मूवमेंट टेक्निक तीनों पर काम हो।

5. अगर मुझे जिम पसंद नहीं है, तो घर पर स्ट्रेंथ ट्रेनिंग कैसे करूँ?
घर पर आप बॉडीवेट स्ट्रेंथ एक्सरसाइज़ से शुरुआत कर सकते हैं – जैसे स्क्वाट, वॉल–पुश–अप, चेयर डिप्स, ग्लूट ब्रिज और प्लैंक। रिसर्च बताती है कि रेसिस्टेंस बैंड या हल्के डम्बल के साथ किए गए होम–बेस्ड प्रोग्राम भी मसल स्ट्रेंथ और फंक्शनल फिटनेस में अच्छे सुधार दिखा सकते हैं, बशर्ते उन्हें रेगुलर और प्रोग्रेसिव तरीके से किया जाए।

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