Home धर्म Chiranjeevi कौन हैं? इन सात अमर विभूतियों की भूमिका
धर्म

Chiranjeevi कौन हैं? इन सात अमर विभूतियों की भूमिका

Share
Seven Chiranjeevis Hindu immortals
Share

हिन्दू कथा में सप्त Chiranjeevi वो दिव्य यशस्वी हैं जो कलि-युग तक जीवित रहेंगे। जानिए उनके नाम, धर्म-भूमिका और आज उनकी स्थिति।

सप्त Chiranjeevi : हिन्दू धर्म में अमर विभूतियों की कथा, भूमिका और आज उनकी स्थिति

हिन्दू धर्म-विज्ञान में “चिरंजीवी” (चिरं जीविन्) का अर्थ है—‘दीर्घकाल तक जीवित रहने वाला’ अर्थात वह विभूति जो युगों, कालों को पार कर जीवित बनी रहती है। पुराणों-महाकाव्यों में उन्हें उस कालखंड का प्रतीक माना गया है जब संसार ‘कलि-युग’ में प्रवेश कर चुका है और देव-मानव-युगांत की ओर बढ़ रहे हैं। इन में से कुछ को सप्त Chiranjeevi कहा गया है—वे सात विभूति-अमरताओं की सूची जिनके जीवन-काल का अंत वर्तमान युग समाप्त होने तक माना गया है।
इस लेख में हम इन सातों चिरंजीवियों के नाम, उनके धार्मिक-मानविक महत्व, उन्हें दी गई अमरत्व-वृत्ति का कारण और आज-उनकी स्थिति को सरल हिंदी में समझेंगे।


Chiranjeevi नाम व प्रमुख भूमिका

प्रमुख पुराण-महाकाव्यों (जैसे महाभारत, रामायण, विभिन्न पुराण) में सात व्यक्तियों को ‘चिरंजीवी’ कहा गया है, जो इस प्रकार हैं–

  1. अश्वत्थामा – गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र, युद्ध-वीर, कर्म-प्रभावित।
  2. महाबली (बली) – दैत्य-राजा, उदार-शासन का प्रतीक, वामनावतार-कथा से जुड़ा।
  3. व्यास (वेदव्यास) – महाकाव्य-लेखक, वेद-संहिताकार, ज्ञान-धारक।
  4. हनुमान – परमभक्त, रामायण-युगीन वीर, शक्ति-भक्ति-रूप।
  5. विभीषण – रावण के छोटे भाई, धर्म-पक्षदर्शी-राजा।
  6. कृपाचार्य – कुरु-राजगुरु, नैतिकता-प्रतिष्ठित शिक्षक।
  7. परशुराम – भगवान विष्णु के छठवें अवतार, ब्राह्मण-योद्धा, शस्त्र-धारी।
    (कुछ स्रोतों में आठवें के रूप में मार्कण्डेय का नाम भी आता है)

प्रत्येक Chiranjeevi की संक्षिप्त कथा व भूमिका

अश्वत्थामा – महाभारत के युद्ध में प्रमुख भूमिका निभाने वाला योद्धा-पात्र। युद्ध-पश्चात् उसे एक शाप-अमरत्व प्राप्त हुआ कि वह युग-समाप्ति तक भूले-भटके रहेगा—यह कहानी नैतिकता-और-कर्म-परिणाम की चेतावनी देती है।

महाबली – दैत्य-राजा बली ने धर्म-परायणता व उदारता का प्रतीक बनने वाला राज्य चलाया। विष्णु के वामनावतार के समक्ष उन्होंने सिर नीचे करके विनम्रता दिखाई, और उन्हें पाताल-लोक में राज्य व अमरत्व-दृष्टि दी गई। यह कथा अहंकार-विनय की शिक्षा देती है।

व्यास – वेदों का संकलक और महाभारत-लेखक, जिसका कार्य मानव-ज्ञान को संरचित करने का था। उन्हें अमरत्व इस दृष्टि से दिया गया कि ज्ञान-धारा कालांत तक प्रवाहित रहे।

हनुमान – भगवान राम के अनन्य भक्त, जिन्होंने शक्ति, समर्पण और भक्ति की चरम सीमा दिखाई। उन्हें आज भी जीवित माना जाता है जहां-जहां रामनाम चलता है।

विभीषण – रावण का छोटा भाई जो धर्म-पथ पर चलने वाला विकसित-विचार वाला था। राम-युद्ध उपरांत लंका का राजा बना और उसे अमरत्व-वृत्ति दी गई।

कृपाचार्य – कुरुओं-पांडवों के गुरु, युद्ध-न्याय व नैतिक शिक्षा का उदाहरण। अमरत्व-प्राप्ति का कारण उनका अटल योग-निष्ठा व संस्कार-अचिंत्य था।

परशुराम – विष्णु भगवान के अवतार रूप में ब्राह्मण-योद्धा, जिन्होंने अधर्म-शासन का विनाश किया। उनका अमरत्व युद्ध-ज्ञान व युग-परिवर्तन की प्रतीक्षा से जुड़ा है।


अमरत्व-वृत्ति का अर्थ और उद्देश्य

“चिरंजीवी” का शाब्दिक अर्थ है ‘लम्बे समय तक जीवित रहने वाला’। यह अमरत्व नहीं बल्कि युग-समाप्ति तक जीवित रहने की स्थिति है। इन विभूतियों को उस युग-यात्रा का प्रतीक माना गया है जहाँ मानव-शक्ति, धर्म-संघर्ष, ज्ञान-प्रसार और भक्ति-परायणता निरंतर प्रवाहित रहे। उनकी अमरता इसलिए दी गई थी ताकि युगों-युगों तक उनका आदर्श, चेतना व प्रेरणा जीवित रहे।


आज-वर्तमान स्थिति और प्रतीक-स्थिति

धार्मिक-मान्यता के अनुसार ये विभूतियाँ आज भी संसार में सक्रिय अवस्था में हैं—किन्तु पारदर्शी-रूप से नहीं दिखाई देतीं। श्रद्धालुओं का कहना है:

  • हनुमान जहाँ-जहाँ रामनाम चलता है, वहीं उपस्थित हैं।
  • अश्वत्थामा आज भी निर्जन स्थलों में विचरता है, द्रष्टाओं से दूर।
  • महाबली पाताल-लोक में-अंतराल से जीवन-देश को देखता है।
  • व्यास लघु-गुप्त आश्रमों में तपस्या करता है।
  • विभीषण‐लंकाधीश के रूप में-समय-समय पर कर्म-सूचकों को मार्गदर्शन देता है।
  • कृपाचार्य-रहस्यमय रूप से ब्राह्मण-शिक्षा का धारा-स्रोत बने हुए हैं।
  • परशुराम पर्वत शिखर, मुनि-आश्रम में युद्ध-साधना व योग-विषयक ज्ञान दे रहे हैं।

इस तरह की मान्यता दर्शाती है कि ये अमर विभूतियाँ मानव-विश्वास और धर्म-परंपरा की गहराई में आज भी जड़ें रखती हैं।


हमें क्या सीख मिलती है?

  • ये विभूतियाँ दर्शाती हैं कि कर्म, भक्ति व ज्ञान से हम समय-परिवर्तन के बावजूद स्थिर-रह सकते हैं।
  • उनका जीवन-यात्रा हमें सिखाती है कि धर्म-निष्ठा, विनय-भक्ति और उत्तरदायित्व-स्वीकार ही सच्ची सम्पन्नता नहीं बल्कि अमरता-का आधार हैं।
  • जहाँ उनकी स्थिति आज भी रहस्यमयी-है, वहाँ यह प्रेरणा-बिंदु रूप में हमें जागरूक करती है कि हमारे पाठ-प्रभाव युगों-तक जा सकते हैं।

सप्त चिरंजीवी की कथा हमें बताती है कि हिन्दू धर्म-दृष्टि में सिर्फ देवताओं की कथा नहीं बल्कि मानव-प्रेरणा, निष्ठा-परक जीवन और अटल मूल्य भी “अमर” हो सकते हैं। नाम-स्मरण से उनकी कथा और आदर्श हमारे जीवन-चक्र में प्रवेश कर सकते हैं। आज-जब हम इन विभूतियों को याद करते हैं, तो हम सिर्फ उन्हें नहीं याद कर रहे होते—हम उस मानव-उत्कर्ष-मार्ग को संजोते हैं जो समय-से-पर-है। इस प्रकार, चिरंजीवी सिर्फ मिथक नहीं बल्कि आज-की हमारी आत्म-शखा हैं।


FAQs

  1. क्या चिरंजीवी पूर्णतः अमर हैं?
    – नहीं, उन्हें “सप्त युगों तक जीवित रहने वाले” माना गया है—शाब्दिक अमरता नहीं, बल्कि युग-समाप्ति तक अस्तित्व।
  2. यदि आठवें चिरंजीवी का नाम मिलता है तो क्या मान्य है?
    – हाँ, कुछ ग्रंथों में मार्कण्डेय को आठवें चिरंजीवी के रूप में अंकित किया गया है।
  3. चिरंजीवियों की संख्या सात ही क्यों?
    – यह संख्या प्रतीकात्‍मक है, पुराण-सूक्तियों में ‘सप्त’ संख्या का विशेष महत्व है—सात युग-चक्र व सात भाव-प्रवाहों के रूपक।
  4. क्या चिरंजीवियों को पूजा-करना चाहिए?
    – उनकी कथा को स्मरण करना, उनका आदर्श अपनाना ही अपेक्षित है; विशेष पूजा-विधि सामान्य नहीं मिली है।
  5. आज इनके अस्तित्व की प्रमाण-दृष्टि क्या है?
    – प्रमाण वैज्ञानिक नहीं है; यह विश्वास-विहित धार्मिक-कथा-विरासत है जो व्यक्तियों-विभूतियों की अमरता-प्रतीक को दर्शाती है।
  6. क्या चिरंजीवी-कथा सिर्फ कहानियाँ हैं?
    – वे प्रतीक-कथाएँ हैं, जिनमें आध्यात्म, नैतिकता और जीवन-गुणों को अमर रूप दिया गया है—जिनसे व्यक्ति-उत्कर्ष की दिशा मिलती है।
Share

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Hanuman Ji के दर्शन के लिए 10 अनमोल मंदिर

Hanuman जी की अनंत शक्ति को महसूस करें इन 10 पवित्र मंदिरों...

गोरखपुर Khichdi Mela 2026 के लिए प्रशासन ने बढ़ा दी तैयारियां

गोरखपुर में जनवरी 2026 में आयोजित होने वाले Khichdi Mela की भारी...

जब महिला स्वयं की प्रेम, शक्ति व स्थिरता चाहती है: Durga Mantra

ये पाँच Durga Mantra महिलाओं को अंदर से मजबूत, आत्म-विश्वासी और शांत...

परिवारिक सौहार्द की मिसाल:Prathamastami उत्सव ओडिशा में

ओडिशा में 12 नवंबर 2025 को मनाई जाने वाली Prathamastami में सबसे...