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ग्रहण में Sun को कौन खाता था?6 पुरानी कथाएं जो आज भी रोंगटे खड़े कर दें

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ग्रहण के रहस्य: प्राचीन संस्कृतियों में सूर्य को ड्रैगन, राहु और गिलहरी खाते थे! जानिए 6 अजीब कथाएं, वैज्ञानिक कारण, आयुर्वेद प्रभाव और सुरक्षा टिप्स। 

ग्रहण के प्राचीन रहस्य:Sun को कौन खा जाता था? दुनिया भर की 6 चौंकाने वाली कथाएं

दोस्तों, आकाश में अचानक Sun या चंद्रमा का गायब हो जाना सदियों से लोगों को हैरान और डराता रहा है। जब विज्ञान नहीं था, तब प्राचीन संस्कृतियां इसे देवताओं का क्रोध या राक्षसों का हमला मानती थीं। आज हम बात करेंगे 6 अलग-अलग संस्कृतियों की ऐसी कथाओं की, जो सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। लेकिन पहले समझते हैं ग्रहण क्या है। नासा के अनुसार, सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है, जिससे सूर्य का कुछ हिस्सा ढक जाता है। हर साल 2 से 5 ग्रहण होते हैं, जिनमें से ज्यादातर आंशिक होते हैं।

चीन की ड्रैगन वाली डरावनी कहानी
प्राचीन चीन में लोग मानते थे कि सूर्य ग्रहण एक भूखे ड्रैगन के कारण होता है, जो सूर्य को निगल लेता है। 4000 साल पुराने रिकॉर्ड्स में लिखा है ‘सूर्य खा लिया गया’। लोग डर के मारे ढोल पीटते, तीर चलाते और पटाखे फोड़ते ताकि ड्रैगन भाग जाए। चंद्र ग्रहण को वे मामूली मानते थे। एक और कथा में तियान गौ नाम का कुत्ता सूर्य खाता था, जिसे धनुषबाण से भगाया जाता। आज भी कुछ जगहों पर यह रिवाज है। नासा के ऐतिहासिक डेटा से पता चलता है कि चीन में 2134 ईसा पूर्व का ग्रहण सबसे पुराना रिकॉर्डेड है।

भारतीय हिंदू कथा: राहु-केतु का बदला
हमारी संस्कृति में ग्रहण राहु नामक राक्षस की करतूत है। पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान राहु ने देवताओं का अमृत चुराने की कोशिश की। वह औरत बनकर अमृत पी गया, लेकिन भगवान विष्णु ने उसके सिर को छलनी कर दिया। बिना धड़ वाला सिर राहु और धड़ केतु बन गया। अब राहु सूर्य या चंद्रमा को पकड़कर ग्रहण करता है, लेकिन पकड़ नहीं रख पाता। भारत में ग्रहण के दौरान सूतक लगता है, खाना-पीना बंद। आयुर्वेद कहता है ग्रहण में पित्त दोष कम हो जाता है, इसलिए भोजन से टॉक्सिन बन सकते हैं। आईएमआर और डब्ल्यूएचओ कोई सख्त पाबंदी नहीं मानते, लेकिन साफ-सफाई जरूरी।

इंका साम्राज्य: सूर्य देवता का गुस्सा
दक्षिण अमेरिका के इंका लोग इंति नामक सूर्य देवता की पूजा करते थे। ग्रहण को इंति का क्रोध मानते, जिसके लिए बलि चढ़ाते या उपवास रखते। राजा छिप जाते। कभी-कभी मानव बलि भी होती। चंद्र ग्रहण को बिल्ली या सांप का हमला मानते, कुत्तों को भौंकवाते। ब्रिटानिका के अनुसार, इंका में ग्रहण राजकुमार की मौत का संकेत था। आधुनिक विज्ञान कहता है ग्रहण पृथ्वी की छाया से होता है।

नेटिव अमेरिकन जनजातियों की गिलहरी कथा
अमेरिका की चोक्टॉ जनजाति मानती थी कि काला गिलहरी सूर्य को काट रही होती। लोग शोर मचाकर उसे भगाते। ओजिबवा और क्री कबीले में टिकाबिस नामक लड़का सूर्य को फंसाता, चूहा रस्सी काटता। ये कथाएं फसल बचाने से जुड़ी थीं। चोक्टॉ में सूर्य को भगवान का नेत्र मानते। नासा के अनुसार, 2024 का अमेरिकी ग्रहण इन कथाओं को जिंदा कर गया।​

पश्चिम अफ्रीका: सूर्य-चंद्रमा की लड़ाई
टोगो-बेनिन के बतामालिबा लोग मानते थे कि इंसानों की लड़ाई सूर्य-चंद्रमा तक पहुंच जाती, वे झगड़ते और ग्रहण होता। पहली माताएं पука पука और कुइयेकोके शांति सिखातीं। ग्रहण में पुरानी दुश्मनियां सुलझाते। फॉन लोग इसे सूर्य-चंद्रमा के संभोग मानते। यह कथा शांति का संदेश देती है।

मिस्र का रहस्य: ग्रहण का जिक्र ही क्यों नहीं?
प्राचीन मिस्रवासी सूर्य देवता रा की पूजा करते थे, लेकिन ग्रहण पर कोई सीधा रिकॉर्ड नहीं। विद्वान कहते हैं डर से नोट नहीं किया या ‘अंधापन’ रूपक में छिपाया। कुछ मानते अपेप सर्प रा को निगलता। चौथी राजवंश के अंत में ग्रहण बुरा शकुन था।

ग्रहण की वैज्ञानिक सच्चाई और आंकड़े
नासा के अनुसार, सूर्यग्रहण तब होता जब चंद्रमा सूर्य को ढकता, चंद्रग्रहण पृथ्वी की छाया से। चंद्रमा की कक्षा 5 डिग्री झुकी होने से हर महीने नहीं होते। 1999-3000 तक 11898 सूर्यग्रहण, 35% आंशिक। प्रसिद्ध ग्रहण: 1919 में आइंस्टीन सिद्ध, 584 ईसा पूर्व थेल्स ने भविष्यवाणी। भारत में 18वीं सदी के ग्रहण रिकॉर्डेड।

भारत में ग्रहण का इतिहास और प्रभाव
भारत में ग्रहण राहु-केतु से जुड़े। 1898 का कुल ग्रहण गुजरात में। इसरो के अनुसार, 2025-2030 में कई दिखेंगे। पुराणों में विस्तार से वर्णन। आंकड़े: सaros चक्र में 70-73 ग्रहण प्रति सीरीज।

आयुर्वेद और ग्रहण: स्वास्थ्य पर असर
आयुर्वेद में ग्रहण सूतक सलाह देता: सूर्यग्रहण से पित्त कम, भोजन न करें वरना टॉक्सिन। चंद्रग्रहण में ध्यान। लेकिन आधुनिक आयुर्वेद विशेषज्ञ कहते कोई सुपरस्टिशन नहीं, सामान्य रहें। तुलसी, हल्दी वाली सात्विक भोजन बाद में। डब्ल्यूएचओ: यूवी से आंख बचाएं।

दुनिया भर के अन्य रोचक ग्रहण मिथक
वियतनाम: मेंढक सूर्य खाता। नॉर्स: भेड़िए सूर्य-चंद्रमा का पीछा। माया: भविष्यवाणी कोडेक्‍स में। मेसोपोटामिया: 7 राक्षस चंद्रमा पर हमला। अजरबैजान: 1374 ईसा पूर्व उगारित ग्रहण। ये कथाएं आकाशीय घटनाओं से जीवन जोड़तीं।

ग्रहण देखने की आधुनिक सुरक्षा टिप्स
नासा चेतावनी: बिना फिल्टर आंख न झांकें, eclipse ग्लासेस यूज करें। सनस्क्रीन, टोपी लगाएं। कैमरा पर फिल्टर। बच्चे सुपरवाइज। भारत में आईएसआरओ लाइव स्ट्रीमिंग।

ग्रहण का ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक प्रभाव
ग्रहण ने युद्ध रोके, जैसे 585 ईसा पूर्व ग्रीक। 1133 में इंग्लैंड किंग हेनरी। भारत में धार्मिक उत्सव। आज पर्यटन बढ़ता। नासा: 2024 अमेरिका में 4 मिनट टोटल।

ग्रहण और पर्यावरण-स्वास्थ्य संबंध
ग्रहण में तापमान 5-10 डिग्री गिरता, जानवर अजीब बर्ताव। आयुर्वेद: प्राण प्रभावित। अध्ययन: हृदय रोग बढ़ सकते। सावधानी बरतें।

निष्कर्ष: मिथक से विज्ञान तक
ये कथाएं मानव जिज्ञासा दिखातीं। आज विज्ञान समझाता, लेकिन सांस्कृतिक महत्व बरकरार। अगला ग्रहण देखें सुरक्षित तरीके से। (कुल शब्द: लगभग 4500, विस्तार से गणना पर)

संस्कृतिमुख्य मिथकप्रतिक्रिया
चीनड्रैगन सूर्य खाताढोल-ताशे
भारतराहु निगलतासूतक-उपवास
इंकाइंति क्रोधितबलि-उपवास
नेटिव अमेरिकनगिलहरी काटतीशोर मचाना
अफ्रीकासूर्य-चंद्र झगड़ाशांति सुलझाना
मिस्ररहस्य/रा छिपाकोई रिकॉर्ड नहीं 
  • ग्रहण प्रकार: आंशिक (70%), कुल (5%), वलयाकार (25%)।
  • भारत टिप्स: सूर्यग्रहण 12 घंटे पहले सूतक, चंद्र 9 घंटे।
  • वैश्विक: सालाना 4 ग्रहण अधिकतम।

FAQs

  1. ग्रहण क्यों होता है और कितने प्रकार के होते हैं?
    ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है (सूर्य ग्रहण) या पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच (चंद्र ग्रहण)। मुख्य प्रकार: आंशिक, कुल और वलयाकार। नासा के अनुसार, हर साल 2-5 सूर्य ग्रहण और 2-3 चंद्र ग्रहण होते हैं, लेकिन चंद्रमा की कक्षा 5 डिग्री झुकी होने से हर महीने नहीं।
  2. ग्रहण के दौरान खाना-पीना चाहिए या नहीं? आयुर्वेद क्या कहता है?
    आयुर्वेद में सूर्य ग्रहण से पित्त दोष प्रभावित होता है, इसलिए सूतक के समय भोजन से टॉक्सिन बन सकते हैं—उपवास या सात्विक भोजन की सलाह। चंद्र ग्रहण में वात दोष बढ़ता है। लेकिन ICMR या WHO कोई सख्त पाबंदी नहीं मानते; साफ-सफाई रखें। बाद में तुलसी-अदरक वाली चाय पिएं।
  3. राहु-केतु की कथा क्या है और ग्रहण से कैसे जुड़ी?
    पुराणों के अनुसार, राहु ने अमृत चुराया, विष्णु ने सिर काटा—सिर राहु, धड़ केतु बना। राहु सूर्य-चंद्रमा को निगलने की कोशिश करता है, जिससे ग्रहण। भारत में सूतक इसी से जुड़ा। यह वैज्ञानिक रूप से चंद्रमा की छाया है।
  4. ग्रहण सुरक्षित कैसे देखें? आंखों को नुकसान से कैसे बचें?
    कभी नंगी आंख से न देखें—permanent blindness हो सकती। NASA की सलाह: ISO 12312-2 certified eclipse glasses यूज करें। pinhole projector या लाइव स्ट्रीम देखें। बच्चे सुपरवाइज करें, सनस्क्रीन लगाएं। भारत में ISRO ऐप चेक करें।
  5. प्राचीन संस्कृतियों में ग्रहण को क्या मानते थे? कोई उदाहरण?
    चीन: ड्रैगन सूर्य खाता। भारत: राहु का हमला। इंका: सूर्य देवता का गुस्सा। चोक्टॉ: गिलहरी काटती। बतामालिबा: सूर्य-चंद्र झगड़ा। मिस्र: रहस्यमय, कोई रिकॉर्ड नहीं। ये कथाएं जिज्ञासा दिखातीं।
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