दुर्गा पूजा 2025 में 29 सितंबर से 3 अक्टूबर तक मनाई जाएगी। जानें शारदीय नवरात्रि की तिथियाँ, मां दुर्गा की पूजा विधि, महत्व, व्रत कथा और कोलकाता की प्रसिद्ध पंडालों की जानकारी। साथ में षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी और विजयादशमी का शुभ मुहूर्त।
दुर्गा पूजा 2025: तिथि, पूजा विधि, महत्व और इतिहास की संपूर्ण जानकारी
दुर्गा पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार पूरे भारत में बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है, लेकिन पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, बिहार और झारखंड में इसका विशेष महत्व है। यह पर्व नवरात्रि के नौ दिनों के अंत में मनाया जाता है। सन 2025 में, दुर्गा पूजा का main पर्व 29 सितंबर से 3 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। यह त्योहार मां दुर्गा की शक्ति और स्त्री शक्ति के सम्मान का प्रतीक है।
दुर्गा पूजा 2025 की तिथियाँ और शुभ मुहूर्त
शारदीय नवरात्रि और दुर्गा पूजा की तिथियाँ हिंदू कैलेंडर के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में निर्धारित की जाती हैं। 2025 में दुर्गा पूजा से जुड़ी महत्वपूर्ण तिथियाँ इस प्रकार हैं:
- नवरात्रि प्रारंभ: 25 सितंबर 2025, गुरुवार (प्रतिपदा)
- कलश स्थापना: 25 सितंबर 2025 (नवरात्रि का पहला दिन)
- दुर्गा पूजा प्रारंभ (षष्ठी): 29 सितंबर 2025, सोमवार
- सप्तमी पूजा: 30 सितंबर 2025, मंगलवार
- महा अष्टमी पूजा: 1 अक्टूबर 2025, बुधवार
- महा नवमी पूजा: 2 अक्टूबर 2025, गुरुवार
- विजयादशमी (दशहरा): 3 अक्टूबर 2025, शुक्रवार (दुर्गा विसर्जन)
(नोट: उपरोक्त तिथियाँ भारतीय Standard Time (IST) के अनुसार हैं। स्थानीय मुहूर्त के लिए किसी स्थानीय ज्योतिषी से सलाह लें।)
दुर्गा पूजा का महत्व और पौराणिक कथा
दुर्गा पूजा का त्योहार मां दुर्गा के महिषासुर नामक राक्षस पर विजय प्राप्त करने की कथा से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथा के अनुसार, महिषासुर ने अपने तप से ब्रह्मा जी को प्रसन्न करके एक वरदान प्राप्त किया था कि उसे कोई भी देवता, दानव या मनुष्य नहीं मार सकेगा। इस वरदान के मद में चूर होकर उसने स्वर्ग लोक पर आक्रमण कर दिया और देवताओं को पराजित कर स्वर्ग का राज्य हथिया लिया।
सभी देवताओं ने मिलकर अपनी-अपनी शक्तियों से एक दिव्य नारी की रचना की, जो मां दुर्गा के रूप में प्रकट हुईं। सभी देवताओं ने उन्हें अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए। मां दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ और दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर देवताओं को उनका राज्य वापस दिलाया। इसी दसवें दिन को विजयादशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाता है।
दुर्गा पूजा उत्सव: नौ दिनों का विस्तार
दुर्गा पूजा का उत्सव नौ दिनों तक चलता है, जिसे नवरात्रि कहा जाता है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ different रूपों की पूजा की जाती है:
- दिन 1 (25 सितंबर): शैलपुत्री – कलश स्थापना और घटस्थापना
- दिन 2 (26 सितंबर): ब्रह्मचारिणी
- दिन 3 (27 सितंबर): चंद्रघंटा
- दिन 4 (28 सितंबर): कुष्मांडा
- दिन 5 (29 सितंबर): स्कंदमाता – षष्ठी पूजा, बोधन
- दिन 6 (30 सितंबर): कात्यायनी – सप्तमी पूजा
- दिन 7 (1 अक्टूबर): कालरात्रि – महा अष्टमी पूजा, कुमारी पूजा
- दिन 8 (2 अक्टूबर): महागौरी – महा नवमी पूजा, हवन
- दिन 9 (3 अक्टूबर): सिद्धिदात्री – विजयादशमी, दुर्गा विसर्जन
घर पर दुर्गा पूजा की विधि
यदि आप घर पर दुर्गा पूजा करना चाहते हैं, तो यहाँ एक सरल विधि दी गई है:
- स्नान और शुद्धि: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें।
- कलश स्थापना: एक मिट्टी के कलश में जल भरें, उसमें सिक्के, सुपारी, अक्षत डालें। कलश के मुख पर नारियल रखकर उसे लाल कपड़े से ढक दें और उसकी पूजा करें।
- दुर्गा प्रतिमा/चित्र स्थापना: मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।
- आवाह्न: मंत्रों का उच्चारण करते हुए मां दुर्गा का आवाह्न (आमंत्रण) करें।
- षोडशोपचार पूजा: मां दुर्गा की 16 different विधियों से पूजा करें। इसमें आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमनीय, स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवीत, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, ताम्बूल, आरती और प्रदक्षिणा शामिल हैं।
- दुर्गा चालीसा और आरती: दुर्गा चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती उतारें।
- प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद को सभी भक्तों में वितरित करें।
आस्था, उत्साह और समुदाय का पर्व
दुर्गा पूजा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह आस्था, उत्साह और सामुदायिक सद्भाव का एक बहुत बड़ा पर्व है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंत में सत्य और धर्म की ही जीत होती है। पूरे भारत में लोग इस त्योहार को बहुत ही उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाते हैं, एक-दूसरे के घर जाते हैं, प्रसाद ग्रहण करते हैं और मां दुर्गा से सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।
पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- दुर्गा पूजा 2025 में कब है?
दुर्गा पूजा का main पर्व 29 सितंबर (षष्ठी) से शुरू होकर 3 अक्टूबर (विजयादशमी) 2025 तक मनाया जाएगा। नवरात्रि 25 सितंबर से शुरू हो रही है। - दुर्गा पूजा क्यों मनाई जाती है?
दुर्गा पूजा मां दुर्गा के महिषासुर नामक राक्षस पर विजय प्राप्त करने की खुशी में मनाई जाती है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। - दुर्गा पूजा के मुख्य दिन कौन से हैं?
दुर्गा पूजा के मुख्य दिन षष्ठी, सप्तमी, महा अष्टमी, महा नवमी और विजयादशमी हैं। महा अष्टमी का दिन सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। - दुर्गा पूजा में कुमारी पूजा क्या होती है?
महा अष्टमी के दिन कुमारी पूजा की जाती है। इसमें एक कुंवारी बालिका की पूजा की जाती है क्योंकि उसे देवी का स्वरूप माना जाता है। - विजयादशमी के दिन क्या होता है?
विजयादशमी के दिन मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। यह दिन दशहरा के रूप में भी मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। - क्या घर पर दुर्गा पूजा कर सकते हैं?
हां, बिल्कुल। घर पर मां दुर्गा की चित्र या प्रतिमा स्थापित करके सरल विधि से पूजा की जा सकती है। कलश स्थापना और नियमित आरती करना महत्वपूर्ण है। - दुर्गा पूजा का प्रसाद क्या है?
दुर्गा पूजा में भोग के रूप में खिचड़ी, लबरा, नारियल की बर्फी, और fruits आदि चढ़ाए जाते हैं। पूजा के बाद इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
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