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Diabetes में आँखों की देखभाल क्यों जरूरी है?

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Diabetes affecting eyesight
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Diabetes सिर्फ शुगर नहीं, आपकी आँखों का भी ख्याल लेना है जरूरी। जानिए कैसे मधुमेह ने आँखों को प्रभावित करता है और बचाव कैसे करें।

Diabetes और आँखों की रोशनी: चुपचाप बढ़ने वाला खतरा

जब हम Diabetes Mellitus की बात करते हैं, तो अक्सर हमारा ध्यान सिर्फ शुगर-लेवल, दवाइयाँ, डायट या वजन पर होता है। लेकिन एक बहुत महत्वपूर्ण समस्या है जिसे अक्सर अनदेखा किया जाता है — आपकी दृष्टि यानी आँखों की क्षमता। शोध बताते हैं कि लगातार उच्च रक्त-शर्करा (ब्लड-शुगर) आँखों के कोमल रक्त-नसों, लेन्स और दृष्टि-तंत्र को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा सकती है। इस लेख में हम जानेंगे कि डायबिटीज़ कैसे आपकी आँखों को प्रभावित करता है, इसकी चेतावनियाँ कौन-सी हैं, जोखिम क्या है, और किस तरह आप अपनी आँखों को सुरक्षित रख सकते हैं।


Diabetes का आँखों पर प्रभाव: मूल कारण
Diabetes का लगातार नियंत्रण न होना आँखों को तीन मुख्य तरीकों से प्रभावित कर सकता है:

  • आँख की छोटे-छोटे रक्त-नसों का कमजोर होना, लीक या बंद होना जिससे दृष्टि का प्रमुख हिस्सा (रेटिना) प्रभावित होता है।
  • आँख के लेन्स (क्रिस्टलिन लेन्स) में प्रोटीन परिवर्तन और ऑक्सीडेटिव तनाव से कैटरैक्ट जल्दी आने की संभावना बढ़ जाती है।
  • आँख का अंदरूनी द्रव निकलने का रास्ता अवरुद्ध हो सकता है, जिससे इं्ट्राऑक्युलर प्रेशर (आईपी / आईओपी) बढ़ता है, जिससे Glaucoma का खतरा होता है।

उदाहरण के तौर पर, एक विशेषज्ञ ने बताया है कि “उच्च शुगर चुपचाप आँख की माइक्रोसरक्यूलेशन (सूक्ष्म-परिसंचरण) को बदल देती है, लेन्स-प्रोटीन को प्रभावित करती है, ड्रेनेज सिस्टम को अवरुद्ध कर सकती है — और ये सभी ‘कटे या झुक जाने वाला दृष्टि’-रास्ता खोलते हैं।”


मुख्य प्रकार की आँखों की समस्याएँ डायबिटीज़ में

  1. डायबिटिक रेटिनोपैथी
    यह सबसे आम रूप है जिसमें आँख की रेटिना में रक्त-नसें कमजोर हो जाती हैं, लीकिंग या ब्लॉकेज होती हैं, जिससे नजर धुंधली होना, रंग бледा लगना, रात में देखने में समस्या आदि हो सकती हैं।
  2. कैटरैक्ट (Lens-मलरूप परिवर्तन)
    डायबिटीज़ में लेन्स परिवर्तन जल्दी होता है — इसे शर्करा-उच्चता, ऑक्सीडेशन और ग्लूकोज़-उपनिवेशित प्रोसेस से जोड़ा गया है। आम उम्र-सम्बंधी कैटरैक्ट की तुलना में यह जल्दी और तीव्र हो सकता है।
  3. ग्लूकोमा
    जब आँख के अंदर द्रव निकलने की व्यवस्था बाधित होती है और आंतरिक दबाव बढ़ जाता है, तो ग्लूकोमा का खतरा अधिक होता है। डायबिटीज़ में यह प्रक्रिया तेजी से बढ़ सकती है और दृष्टि-क्षति जल्दी हो सकती है।

कौन-कौन जोखिम में हैं?

  • उन लोगों को जिनका ब्लड-शुगर नियमित रूप से नियंत्रित नहीं है।
  • लंबे समय से डायबिटीज़ से ग्रस्त लोग।
  • उन लोगों को जिनके रक्त-चाप (हाई बीपी) या कोलेस्ट्रॉल भी उच्च है।
  • धूम्रपान करने वालों और शराब का अधिक सेवन करने वालों में।
  • यदि पहले आँखों की दिक्कत रही हो या पारिवारिक इतिहास हो।

चेतावनियाँ-लक्षण: कब आँख-चिकित्सा जरूरी है?
यदि आप नीचे दिए गए लक्षण महसूस करें, तो तुरंत आँख-चिकित्सक से मिलना चाहिए:

  • अक्सर चश्मे/लेंस की पावर बदलने की आवश्यकता होना।
  • रोशनी के चारों ओर हल्की हल्की रिंग्स या हेलो दिखना।
  • दृष्टि अचानक या धीरे-धीरे धुंधली होना।
  • हल्के-मध्यम आँख दर्द या आँखों में दबाव महसूस होना।
  • रात में कम दिखना, रंगों में कम स्पष्टता महसूस होना।

कैसे करें अपनी आँखों की रक्षा: जानें प्रभावी उपाय
1. नियमित आँखों की जांच
हर डायबिटिक को कम-से-कम एक बार साल में विस्तारित चश्मदी आँख-परीक्षा (dilated eye exam) करानी चाहिए ताकि शुरुआती बदलाव पकड़े जा सकें।

2. ब्लड-शुगर, रक्त-चाप व कोलेस्ट्रॉल का नियंत्रण
आँखों-की स्वास्थ्य के लिए मात्र शुगर नियंत्रण ही पर्याप्त नहीं है — उच्च रक्त-चाप और कोलेस्ट्रॉल भी आँखों के रक्त-नसों को प्रभावित करते हैं।

3. जीवनशैली-सुधार

  • आहार में हरी पत्तेदार सब्जियाँ, ओमेगा-3 फैटी एसिड्स, कम प्रोसेस्ड शुगर व मौलिक खाद्य शामिल करें।
  • नियमित व्यायाम करें जिससे रक्त-संचार बेहतर हो।
  • धूम्रपान व अत्यधिक शराब से परहेज़ करें क्योंकि ये आँखों की रक्त-नसों को और क्षतिग्रस्त करते हैं।

4. समय पर उपचार
यदि कैटरैक्ट, ग्लूकोमा या रेटिनोपैथी का प्रारंभिक संकेत मिले हों, तो जल्द चिकित्सकीय सलाह एवं संभवतः लेज़र, इंजेक्शन या अन्य चिकित्सकीय हस्तक्षेप पर विचार करना चाहिए।

5. आँखों-के अभ्यास व संरक्षण

  • लंबे समय तक स्क्रीन पर काम करने के बाद हर 20-30 मिनट में 20 सेकंड के लिए दूर की किसी वस्तु को देखें।
  • पर्याप्त नींद और आँखों को आराम दें।
  • क्षति को रोकने के लिए चश्मा/सूर्य-ग्लास का उपयोग करें।

Diabetes सिर्फ शुगर का नाम नहीं, बल्कि आपकी आँखों की सुविधा से जुड़ी गंभीर समस्या भी हो सकती है। आँखों की बदलती गतिविधि, चश्मे-पोर्टल बदलाव, रात में नजर कम होना – ये संकेत हैं जिन्हें अनदेखा नहीं करना चाहिए। शुरुआत में नियंत्रण, नियमित आँख-जांच, सही जीवनशैली से आप अपनी दृष्टि को सुरक्षित रख सकते हैं। याद रखें – आँखें हैं जीवन का एक कीमती हिस्सा। उन्हें सुरक्षित रखना किसी आवश्यकता से कम नहीं।


FAQs

1. क्या सिर्फ ब्लड-शुगर नियंत्रण से आँखों की समस्या पूरी तरह टल सकती है?
नहीं, ब्लड-शुगर नियंत्रण बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन रक्त-चाप, कोलेस्ट्रॉल, जीवनशैली और नियमित आँख-जांच भी उतने ही जरूरी हैं।

2. अगर मेरी Diabetes नई है, तो मुझे तुरंत आँख-चेकअप कराना चाहिए?
हाँ, डायबिटीज़ के निदान के बाद जल्द-से-जल्द एक विस्तारित आँख-जांच कराना एक सुरक्षित कदम है।

3. क्या आँखा-समस्याएँ हमेशा दृष्टि-खराब होने से पहले संकेत देती हैं?
कहीं-कहीं नहीं। विशेषकर डायबिटिक रेटिनोपैथी में प्रारंभ में लक्षण नहीं दिखते—इसलिए नियमित जांच जरूरी है।

4. क्या युवा डायबिटिक मरीजों को भी आँखों की समस्या हो सकती है?
हाँ, यदि शुगर कई वर्षों से नियंत्रित नहीं हो रही हो और अन्य जोखिम-कारक हों तो युवा मरीजों में भी आँखों-की समस्या जल्दी وقوع कर सकती है।

5. क्या आँखों की समस्या होने पर हमेशा आंशिक या पूर्ण अंधापन हो जाता है?
नहीं, यदि समय पर पकड़ा जाए और उचित उपचार मिले तो काफ़ी हद तक दृष्टि बनी रह सकती है। समस्या को देर-से पकड़ना अंधापन का जोखिम बढ़ाता है।

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