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विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त और व्रत कथा – जानें सब कुछ Vishwakarma Puja 2025

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Workers worshipping the idol of Vishwakarma in a factory or workshop, where machines are garlanded with flowers.
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विश्वकर्मा पूजा 2025 में 16 सितंबर को मनाई जाएगी। जानें देव शिल्पी विश्वकर्मा की पूजा विधि, महत्व, कथा और उन राज्यों की सूची जहाँ यह सार्वजनिक अवकाश होता है। कारखानों और कारीगरों के इस प्रमुख पर्व की पूरी जानकारी।

विश्वकर्मा पूजा 2025: तिथि, महत्व, पूजा विधि और इतिहास की संपूर्ण जानकारी

विश्वकर्मा पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो दिव्य शिल्पकार, वास्तुकार और इंजीनियर भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है। यह पर्व मुख्य रूप से कारखानों, औद्योगिक इकाइयों, वर्कशॉप और कारीगरों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने tools, machines और workplace की पूजा करते हैं और भगवान विश्वकर्मा से सुरक्षा, समृद्धि और success की कामना करते हैं। सन 2025 में, विश्वकर्मा पूजा 16 सितंबर, मंगलवार के दिन मनाई जाएगी।

यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद मास की संक्रांति के दिन मनाया जाता है, जिसे ‘भाद्रा संक्रांति’ भी कहा जाता है। इस दिन से सूर्य का कन्या राशि में प्रवेश होता है। यह दिन skill, creativity और hard work का सम्मान करने का दिन है।

विश्वकर्मा पूजा 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

  • विश्वकर्मा पूजा तिथि: 16 सितंबर 2025, मंगलवार
  • भाद्रपद संक्रांति प्रारंभ: 16 सितंबर 2025 को सुबह 03:37 बजे
  • भाद्रपद संक्रांति समाप्त: 17 सितंबर 2025 को सुबह 02:14 बजे

(नोट: चूंकि संक्रांति 16 सितंबर की सुबह शुरू हो रही है, इसलिए विश्वकर्मा पूजा का मुख्य दिन 16 सितंबर 2025 माना जाएगा।)

भगवान विश्वकर्मा कौन हैं? पौराणिक महत्व और इतिहास

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का chief architect और divine craftsman माना जाता है। उन्हें सृष्टि का निर्माता और समस्त शिल्प कलाओं का जनक कहा जाता है। मान्यता है कि इस ब्रह्मांड की रचना में ब्रह्मा जी के सहयोगी के रूप में भगवान विश्वकर्मा ने ही अनेकों divine objects और structures का निर्माण किया था।

पुराणों में उनके द्वारा निर्मित कुछ प्रमुख रचनाएँ हैं:

  • स्वर्ग लोक: देवताओं का नगर, जिसकी भव्यता अद्भुत थी।
  • द्वारका: भगवान कृष्ण का सोने का नगर, जो समुद्र के बीचोंबीच बसा था।
  • इंद्रपुरी: देवराज इंद्र का महल।
  • हस्तिनापुर: कौरवों और पांडवों की राजधानी।
  • देवताओं के अस्त्र-शस्त्र: जैसे भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र, भगवान शिव का त्रिशूल, और यमराज का कालदंड।

इसीलिए, सभी engineers, architects, craftsmen, factory workers, और industrialists भगवान विश्वकर्मा को अपना आराध्य देव मानते हैं और उनसे अपने काम में कुशलता और सफलता की प्रार्थना करते हैं।

विश्वकर्मा पूजा का महत्व

  1. मशीनों और उपकरणों का सम्मान: इस दिन लोग अपने tools, machines, vehicles और workplace की पूजा करते हैं। यह एक symbolic way है अपने livelihood के साधनों के प्रति gratitude express करने का।
  2. सुरक्षा और कल्याण: Factory और industrial areas में accidents से बचने के लिए divine blessings मांगी जाती हैं।
  3. कौशल और रचनात्मकता का उत्सव: यह दिन skill, innovation और creativity को celebrate करने का दिन है।
  4. व्यवसाय में समृद्धि: Business owners और industrialists इस दिन अपने business growth और prosperity के लिए प्रार्थना करते हैं।

विश्वकर्मा पूजा कैसे मनाई जाती है?

विश्वकर्मा पूजा का सबसे बड़ा आयोजन factories, industrial areas, workshops और offices में होता है।

  1. सफाई और सजावट: इस दिन सबसे पहले factories और workshops की thorough cleaning की जाती है। Machines और tools को paint किया जाता है और उन्हें flowers और garlands से सजाया जाता है।
  2. पूजा विधि: एक pandit द्वारा विधि-विधान से भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। कलश स्थापना, षोडशोपचार पूजा और हवन किया जाता है।
  3. मशीनों की पूजा: पूजा के बाद, सभी machines और tools पर हल्दी, कुमकुम, चावल और फूल चढ़ाए जाते हैं। उन्हें incense sticks और दीपक दिखाया जाता है।
  4. प्रसाद वितरण: पूजा के बाद सभी employees और workers के बीच प्रसाद वितरित किया जाता है।
  5. भोज और उत्सव: कई जगहों पर employees के लिए special lunch या dinner का आयोजन किया जाता है। कभी-कभी cultural programs का भी आयोजन होता है।
  6. अवकाश: इस दिन factories और workshops में काम बंद रहता है और workers को holiday दी जाती है।

किन राज्यों में है सार्वजनिक अवकाश?

विश्वकर्मा पूजा मुख्य रूप से industrial states में एक सार्वजनिक अवकाश (public holiday) के रूप में मनाई जाती है। इनमें मुख्य रूप से शामिल हैं:

  • पश्चिम बंगाल
  • बिहार
  • झारखंड
  • उत्तर प्रदेश
  • ओडिशा
  • त्रिपुरा
  • असम (कुछ क्षेत्रों में)

इन राज्यों के अलावा, देशभर के industrial establishments और factories में यह day एक holiday की तरह ही मनाया जाता है।

निष्कर्ष: श्रम का सम्मान और आस्था का पर्व

विश्वकर्मा पूजा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह hard work, skill और creativity का उत्सव है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हमारे काम के tools और machines हमारी livelihood का एक अहम हिस्सा हैं और उनका सम्मान करना चाहिए। भगवान विश्वकर्मा से प्रार्थना है कि वे सभी कारीगरों, engineers और workers को अपना आशीर्वाद दें, उनके काम में कुशलता प्रदान करें और उन्हें सुरक्षा प्रदान करें।


पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  1. विश्वकर्मा पूजा 2025 में कब है?
    विश्वकर्मा पूजा 2025 में 16 सितंबर, मंगलवार के दिन है।
  2. विश्वकर्मा पूजा क्यों मनाई जाती है?
    विश्वकर्मा पूजा दिव्य शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा के सम्मान में मनाई जाती है, जिन्हें देवताओं का वास्तुकार माना जाता है। यह कारीगरों, engineers और factory workers का प्रमुख त्योहार है।
  3. क्या विश्वकर्मा पूजा पर सार्वजनिक अवकाश होता है?
    हां, भारत के कुछ industrial राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और ओडिशा में यह सार्वजनिक अवकाश होता है। देशभर की factories और workshops में भी usually काम बंद रहता है।
  4. विश्वकर्मा पूजा पर मशीनों की पूजा क्यों की जाती है?
    क्योंकि मशीनें और tools लोगों की livelihood और income का स्रोत होते हैं। उनकी पूजा करके लोग उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं और भगवान विश्वकर्मा से उन्हें सुरक्षित और efficient रूप से चलाने की कला के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।
  5. विश्वकर्मा पूजा के दिन क्या काम नहीं करना चाहिए?
    मान्यता है कि इस दिन अपने professional tools और machines पर काम नहीं करना चाहिए। उन्हें आराम देना चाहिए, उनकी पूजा करनी चाहिए और फिर अगले दिन से काम शुरू करना चाहिए।
  6. घर पर विश्वकर्मा पूजा कैसे करें?
    घर पर आप भगवान विश्वकर्मा की picture或 idol स्थापित करके simple पूजा कर सकते हैं। अपने professional tools (जैसे computer, laptop, carpenter या mechanic के tools) को साफ करके उन पर हल्दी, कुमकुम लगाएं और फूल चढ़ाएं।
  7. विश्वकर्मा जी के पिता कौन थे?
    पुराणों के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा के पिता भगवान ब्रह्मा थे और माता देवी घृताची थीं। उन्हें देवताओं में सर्वश्रेष्ठ शिल्पी का दर्जा प्राप्त है।
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