धनबाद : कोयला मजदूरों के बोनस को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। इसी मुद्दे पर बिहार जनता खान मजदूर संघ के महामंत्री रणविजय सिंह ने कोल इंडिया और बीसीसीएल प्रबंधन पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा हैं कि दुर्गा पूजा से पहले कोयला मजदूरों को एक लाख रुपये का बोनस मिलना ही चाहिए। यह मजदूरों का हक है और इसे किसी भी बहाने से रोका नहीं जा सकता।
रणविजय सिंह ने कहा कि मजदूरों के पक्ष में कोर्ट ने भी आदेश जारी किया है, जिससे उनकी मांग और मजबूत हो गई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि गुरुवार को होने वाली जेबीसीसीआई (JBCCI) की बैठक मजदूरों के लिए एक सकारात्मक और सुखद संदेश लेकर आएगी। उन्होंने प्रबंधन को चेतावनी दी कि मजदूरों के अधिकारों के साथ खिलवाड़ अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने प्रबंधन की दोहरी नीति पर भी सवाल खड़े किए। कहा कि एक ओर कंपनी अधिकारियों को हर तरह की सुख-सुविधाएं उपलब्ध करा रही है, यहां तक कि उन्हें लैपटॉप तक दिए जा रहे हैं, जबकि उन्हीं मजदूरों को बोनस देने से इंकार किया जा रहा है जिनकी मेहनत से कोयला उत्पादन संभव हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह का रवैया अस्वीकार्य है और मजदूर संगठन इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा।
उधर, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने भी कोल इंडिया के अध्यक्ष को पत्र लिखकर बोनस भुगतान को लेकर दबाव बनाया है। यूनियनों ने मांग की है कि बोनस पर अंतिम निर्णय लंबित होने के बावजूद मजदूरों को अग्रिम भुगतान के तौर पर एक लाख रुपये दिए जाएं। जानकारी मिल रही है कि कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश के बाद कोल इंडिया प्रबंधन भी इस दिशा में विचार कर रहा है।
बोनस को लेकर देरी से मजदूरों में नाराजगी लगातार बढ़ रही है। रणविजय सिंह का कहना है कि यदि समय पर बोनस का भुगतान नहीं किया गया, तो इसका असर सीधे-सीधे पूजा के बाजार पर भी पड़ेगा। झारखंड में हर साल बोनस मद में लगभग 700 करोड़ रुपये कोयलाकर्मियों के खाते में आते हैं। यह रकम न सिर्फ मजदूरों के परिवार के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि स्थानीय बाजार की रौनक भी इसी पर टिकी होती है।
उन्होंने कहा कि बोनस केवल आर्थिक मदद नहीं, बल्कि मजदूरों की मेहनत और सम्मान का प्रतीक है। यदि प्रबंधन इस अधिकार से मजदूरों को वंचित करता है, तो संगठन मजबूरन आंदोलन का रास्ता अख्तियार करेगा। रणविजय सिंह ने चेतावनी देते हुए कहा कि आने वाले समय में अगर मजदूरों को उनका हक नहीं मिला तो हालात विस्फोटक हो सकते हैं और इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से प्रबंधन की होगी।
इस बीच, मजदूरों की निगाहें गुरुवार को होने वाली JBCCI की बैठक पर टिकी हुई हैं। अब देखना होगा कि क्या यह बैठक कोयला मजदूरों के लिए राहत लेकर आती है या फिर बोनस का यह विवाद और गहराता है।
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