इलाहाबाद हाई Court ने स्पष्ट किया कि RTE एक्ट की धारा 16 के तहत प्राइवेट अनएडेड स्कूलों को 8वीं कक्षा तक छात्रों को फेल या निकालने का अधिकार नहीं है। जानिए कोर्ट के आदेश और छात्र अधिकार।
Private Schools में ‘नो एक्सपल्शन’ और ‘नो Donation’ का कानून सख्ती से लागू
इलाहाबाद हाई Court ने हाल ही में भारतीय शिक्षा कानून के महत्वपूर्ण प्रावधान का पुनः पुष्टि करते हुए कहा कि Right of Children to Free and Compulsory Education (RTE) एक्ट की सारी धारणाएं प्राइवेट अनएडेड स्कूलों पर भी लागू होती हैं। विशेष रूप से, कोई भी स्कूल 8वीं कक्षा के अंत तक किसी छात्र को फेल या निकाल नहीं सकता।
मामला और Court का फैसला
- लखनऊ की एक प्रतिष्ठित ICSE प्राइवेट स्कूल ने 2024-25 के सत्र में दो छात्रों को निचली कक्षा के कारण निलंबित कर दिया।
- छात्र पक्ष ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह क़ानून के विपरीत है क्योंकि RTE एक्ट की धारा 16 छात्रों को 8वीं तक फेल या निकालने से रोकती है।
- स्कूल ने दावा किया कि अनएडेड होने के कारण वे इस नियम के दायरे में नहीं आते।
- कोर्ट ने स्कूल की दलील खारिज करते हुए कहा कि RTE एक्ट सार्वभौमिक है और सभी स्कूलों पर लागू।
Court के मुख्य बिंदु
- RTE एक्ट के नियम सरकारी, प्राइवेट या अनएडेड सभी स्कूलों पर लागू होंगे।
- धारा 16 के तहत छात्र को किसी भी कक्षा में रोकना या निकासी करना गैरकानूनी है।
- कोर्ट ने कोर्टे स्कूल की कार्रवाई को ‘अर्बिट्रेरी’ और अवैध घोषित किया।
- छात्रों को तुरंत पुनः दाखिला देने और परीक्षा की व्यवस्था करने का आदेश दिया गया।
RTE एक्ट का महत्व
- यह कानून भारत में सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देता है।
- इसका उद्देश्य हर छात्र को शिक्षा की समान पहुँच उपलब्ध कराना है।
- स्कूलों के लिए यह अधिनियम यह सुनिश्चित करता है कि कोई छात्र बिना आवश्यक कारणों के शिक्षा से वंचित न हो।
FAQs
- प्राइवेट अनएडेड स्कूलों पर RTE एक्ट क्यों लागू है?
- उच्चतम न्यायालय के निर्देश और कानून के तहत सभी स्कूल मान्यता प्राप्त हैं।
- धारा 16 क्या कहती है?
- कोई भी छात्र 8वीं कक्षा के पहले फेल या निकाल नहीं सकता।
- क्या स्कूल छात्रों को निलंबित कर सकते हैं?
- गंभीर अनुशासनात्मक कारणों के बिना निलंबन या निकासी कानूनन अवैध है।
- छात्र के अधिकारों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
- संबंधित कोर्ट अथवा शिक्षा बोर्ड में शिकायत दर्ज करें।
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