Scrub Typhus के बढ़ते मामलों से सावधान रहें। जानें लक्षण, जोखिम, बचाव के असरदार तरीके और क्या करें अगर काटे जाएँ।
सावधान! Scrub Typhus कैसे फैलता है और इससे कैसे बचें
भारत में एक बार फिर से फोकस में आ चुकी है एक जानलेवा लेकिन अक्सर कम-पहचानी जाने वाली बीमारी — Scrub Typhus. हाल ही में 2025 में Andhra Pradesh में इसके मामलों में अचानक वृद्धि देखी गई है, जिससे स्वास्थ्य अधिकारियों और आम लोगों दोनों को सतर्क किया गया है। यदि आपने हाल-फिलहाल खेत, झाड़ी, जंगल या घने पेड़ों वाले इलाकों में समय बिताया है, तो इस लेख को ध्यान से पढ़ना बहुत जरूरी है।
सबसे पहले समझते हैं — Scrub Typhus है क्या?
Scrub Typhus एक बैक्टीरियल संक्रमण है, जिसे Orientia tsutsugamushi नामक जीवाणु फैलाता है। यह जीवाणु सीधे इंसानों से नहीं, बल्कि एक विशेष प्रकार के छोटे माइट — जिन्हें “चिगर” (chigger) कहा जाता है — के माध्यम से फैलता है। ये चिगर अक्सर झाड़ियों, घास-पौधों या जंगलों में पाए जाते हैं, और जब वे किसी इंसान को काटते हैं, तो बैक्टीरिया रक्त प्रवाह में प्रवेश कर जाता है।
भारत और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में यह बीमारी पहले से मौजूद रही है, लेकिन जागरूकता और सही निदान की कमी के कारण इसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता रहा है। हालाँकि, 2020 के बाद से Scrub Typhus की घटनाओं में तेजी से बढ़ोतरी हुई है — और 2025 में Andhra Pradesh में कई जिलों से बढ़ते मामलों की सूचना मिली है।
लक्षण — कैसे पहचानें कि Scrub Typhus हुआ है?
Scrub Typhus का इन्क्यूबेशन समय आमतौर पर 6 से 21 दिन होता है। मतलब, चिगर के काटने के 1–3 सप्ताह के भीतर लक्षण उभर सकते हैं। प्रमुख शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं —
• तेज़ बुखार, अक्सर 38–40°C तक पहुँचना
• ठंड लगना, कंपकंपी
• सिरदर्द, शरीर में दर्द, मांसपेशियों में कमजोरी
• थकान, कमज़ोरी, भूख में कमी
• कभी-कभी खांसी, सांस की तकलीफ, और जीउष्टरी (पेट संबंधित) परेशानी भी हो सकती है।
बुखार शुरू होने के 5–8 दिन बाद शरीर पर दाने (maculopapular rash) या लाल-भूरे रंग के दाग, त्वचा पर निशान (eschar) बन सकते हैं — यह काटे जाने वाले स्थान पर होता है। इसी जगह आसपास लिंफ-नोड्स सूज सकते हैं।
स्क्रब टाइफस की पहचान सिर्फ बुखार से नहीं, बल्कि इन लक्षणों और काटे जाने की संभावना वाले इतिहास से करनी चाहिए।
क्यों खतरनाक हो सकता है Scrub Typhus?
अगर समय पर निदान और इलाज ना हो, तो Scrub Typhus गंभीर हो सकती है। इस बैक्टीरिया का असर सिर्फ हल्की बुखार तक सीमित नहीं रहता — यह यकृत (liver), गुर्दे (kidney), फेफड़े, मुट्ठी व अंतर अंगों तक प्रभावित कर सकती है। मल्टी-ऑर्गन डिसफंक्शन, श्वसन समस्या, जिगर खराबी, रक्त संबंधी जटिलताएं और कभी-कभी मृत्यु तक हो सकती है।
केसों के अध्ययन बताते हैं कि बचाव व इलाज न होने पर रोग गंभीर रूप ले लेता है — इसलिए अच्छे से बचाव व सतर्कता बेहद महत्वपूर्ण है।
कौन हैं ज्यादा जोखिम में?
• ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले, खेत, जंगल, झाड़ी, घास-पौधों वाले इलाके में काम करने वाले लोग — किसानों, मजदूरों, जंगल से जुड़े काम करने वाले लोग।
• मानसून या बरसात के बाद — जब मिट्टी नम हो जाती है और झाड़ियों में चिगर-माइट्स की संख्या बढ़ जाती है।
• ऐसे लोग जो कच्चे मांस, पेड़-पौधों, जगह-जगह मिट्टी या घास में अधिक समय बिताते हैं।
2025 में Andhra Pradesh की स्थिति
हालिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि Andhra Pradesh के 26 जिलों में Scrub Typhus के मामले सामने आ रहे हैं। ख़ासकर Chittoor जिले में 379 मामलों की सूचना मिली है, जबकि Kakinada और Visakhapatnam जैसे जिलों में भी क्रमशः 141 और 123 मामले दर्ज हुए हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने चेतावनी जारी की है कि इस बीमारी को समय पर पहचानना और इलाज करना ही सबसे बड़ा बचाव है। दिये गए लक्षणों — बुखार, शरीर में दर्द, काटने का निशान या पपड़ी, लसीका ग्रंथियों की सूजन — पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और आवश्यक जांच कराएं।
कैसे करें बचाव — आसान और असरदार उपाय
झाड़ियों, खेतों या जंगलों में जाने पर सावधानियाँ अपनाना बहुत ज़रूरी है। विशेष रूप से:
• लंबी बाजू की शर्ट, लंबी पैंट, दुपट्टा या मफलर — ताकि शरीर पर माइट का सीधा संपर्क न हो।
• मिट्टी, घास-पत्तियों में काम के बाद जल्दी नहाना, कपड़े और जूते अच्छी तरह साफ करना।
• अगर संभव हो — माइट रपेलेंट (mosquito/mite repellent) का इस्तेमाल करें।
• घर व आसपास की जगहों को साफ रखें, झाड़ियों और घास-पत्तियों की कटाई करें ताकि चिगर-माइट्स पनपने की जगह न मिले।
• जंगल, खेत या वुडलैंड से लौटने पर तुरंत कपड़े बदलें, नहाएं।
• अगर किसी को तेज बुखार हो और काटे जाने का इतिहास हो — तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
साथ ही, स्वास्थ्य विभागों व स्थानीय प्रशासन से अनुरोध है कि वे लोगों को जागरूक करें, प्रभावित इलाकों में माइट-नियंत्रण (spray, sanitation) करें, और जांच-उपकरण उपलब्ध कराएँ।
इलाज — जल्दी पहचान, सही एंटीबायोटिक
Scrub Typhus एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज उपलब्ध एंटीबायोटिक्स से संभव है — बशर्ते समय पर निदान हो जाए। सामान्यतः दवाओं से ठीक हो जाता है।
लेकिन अगर दवाओं के साथ-साथ रोगी का देख-रेख व उचित विश्राम, पर्याप्त पानी पीना, पोषण व शरीर को गर्म रखना नहीं हुआ, तो संक्रमण गंभीर हो सकता है।
क्यों है पुनरुत्थान (reemergence) — बढ़ते केसों का कारण क्या?
- भारी वर्षा और मॉनसून के बाद जंगल, झाड़ी, खेतों में माइट्स (चिगर) पनपते हैं।
- ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की कमी — लोग काटे जाने पर या हल्के ज्वर को गंभीर नहीं लेते।
- पर्यावरणीय बदलाव, जंगलों और मानव बस्तियों के बीच संपर्क में वृद्धि, खेती-बाड़ी व कच्ची ज़मीन से जुड़ा जीवन।
- सीमित चिकित्सा सुविधाएं, समय पर निदान व टेस्टिंग की कमी।
समर्थित शोध बताते हैं कि भारत में Scrub Typhus “सबसे आम रिकेट्सियल संक्रमण” है, लेकिन इसके असली बोझ का अंदाज़ा लगाना मुश्किल है क्योंकि यह अक्सर गलत निदान हो जाता है या रिपोर्ट नहीं होता।
Scrub Typhus एक घातक लेकिन पूरी तरह टाला जा सकने वाला रोग है — बशर्ते हम सावधान रहें, जानकारी रखें और समय से इलाज करवाएं। 2025 में Andhra Pradesh में बढ़ते मामलों ने हमें यह बतलाया है कि यह खतरा आज भी जीवित है।
अगर आप घास-पत्तियों, खेतों, जंगलों या झाड़ियों वाले इलाकों में जाते हैं — चाहे काम के लिए हो, खेती-बाड़ी हो, वुडवर्क हो या सिर्फ पैदल गुजरना हो — तो कृपया ऊपर बताई गई सावधानियाँ अपनाएँ।
और अगर बुखार, शरीर दर्द, सिरदर्द, या काटने का निशान हो — तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
स्वास्थ्य विभाग, स्थानीय प्रशासन व आम जनता — सभी की जिम्मेदारी है कि वे जागरूक हों, संक्रमण को फैलने से रोकें और समय पर इलाज उपलब्ध कराएँ।
Scrub Typhus को अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है, लेकिन जागरूकता, सावधानी और सही इलाज से इसके असर को रोका जा सकता है।
हमारी सुरक्षा और स्वास्थ्य — हमारी ज़िम्मेदारी है।
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