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IIT Madras की वैज्ञानिक तकनीक Perfect Crispy Dosa बनाने की

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Perfect Crispy Dosa
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Dosa बनाने में तापमान, बैटर की बनावट और वैज्ञानिक सिद्धांतों की भूमिका समझें जो देते हैं Perfect Crispy Dosa किनारा और नरम अंदरूनी हिस्सा।

Dosa बनाने में तापमान, बैटर और वैज्ञानिक सिद्धांतों की भूमिका

Dosa, भारत के दक्षिणी हिस्से का सबसे लोकप्रिय और स्वादिष्ट व्यंजन है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि डोसा की क्रिस्पी किनारें और नरम केंद्र कैसे बनते हैं? इसके पीछे केवल पारंपरिक विधि ही नहीं, बल्कि विज्ञान भी काम करता है। IIT मद्रास के प्रोफेसर महेश पंचागनुला ने डोसा बनाने में छुपे वैज्ञानिक कारणों को समझाया है, जो 18वीं सदी के जर्मन वैज्ञानिक सिद्धांत, “Leidenfrost प्रभाव” से जुड़ा है।

Leidenfrost प्रभाव क्या है?

Leidenfrost प्रभाव तब होता है जब पानी की बूँदें किसी बहुत गर्म सतह पर गिरती हैं जो इतना गर्म होता है कि बूँद के नीचे एक भाप की परत बन जाती है। इससे पानी की बूँद सतह से चिपकती नहीं बल्कि ऐसा लगता है मानो वह सतह पर तैर रही हो। दक्षिण भारतीय घरों में परंपरागत रूप से तवे पर पानी की बूँदें छिड़क कर इस प्रभाव का परीक्षण किया जाता है। जब बूँदें तवे पर ‘नाचती’ हैं, तभी तवा डोसा सेंकने के लिए तैयार होता है।

तापमान और डोसा का नाजुक तालमेल

अगर तवा बहुत ठंडा होगा तो बैटर तवे से चिपक जाएगा और डोसा फट सकता है। यदि तवा बहुत गर्म होगा तो डोसा जल जाएगा और बीच का हिस्सा कच्चा रह जाएगा। ठीक तापमान पर आने पर बैटर तवे पर आसानी से फैलता है, थोड़ा उठता है और समान रूप से कुरकुरा हो जाता है। इस तापमान पर डोसा के किनारे क्रिस्पी और अंदरूनी हिस्सा सौम्य रहता है।

बैटर की बनावट और किण्वन (Fermentation)

डोसा के बैटर में किण्वन प्रक्रिया के दौरान छोटे-छोटे वायु के थैले बनते हैं। जब तवे पर डोसा तला जाता है, ये थैले गर्म होकर फुल जाते हैं जिससे डोसा का टेक्सचर हल्का और फुला हुआ बनता है। फेंटना और बैटर फैलाने की तकनीक भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सही फैलाव डोसा को पतला और समान बनाता है।

परंपरा और विज्ञान का विलय

डोसा बनाना मात्र एक व्यंजन तैयार करना नहीं, बल्कि तापमान, भाप, बैटर की बनावट और फैलाव के बीच विज्ञान की खूबसूरत प्रक्रिया है। यह प्राचीन विधि और आधुनिक वैज्ञानिक समझ का मेल है, जो हर घर की रसोई में रोजाना दिखाई देता है।


FAQs

  1. Leidenfrost प्रभाव डोसा बनाते समय कैसे काम करता है?
    यह प्रभाव बहुत गर्म तवे पर पानी की बूँदों के नीचे भाप की परत बना देता है, जिससे बूँद तवे पर चिपकती नहीं और डोसा धड़कता या जलता नहीं है, बल्कि समान रूप से पकता है।
  2. डोसे का बैटर किण्वन क्यों जरूरी है?
    किण्वन बैटर में वायु के थैले बनाता है, जिससे डोसा फुलता है और हल्का, नरम और कुरकुरा बनता है।
  3. डोसा बनने के लिए तवे का आदर्श तापमान क्या है?
    आदर्श तापमान वह होता है जब तवे पर छीटे गए पानी की बूँदें नाचें, यानी लगभग 150-180 डिग्री सेल्सियस के आसपास।
  4. डोसा के किनारे क्यों कुरकुरे और बीच में नरम होते हैं?
    यह तापमान नियंत्रण, बैटर की बनावट और फैलाव की तकनीक के सही मेल से होता है, जिससे किनारे ज्यादा पकते हैं लेकिन बीच नरम रहता है।
  5. क्या विज्ञान सिर्फ व्यंजनों को बेहतर बनाने में मदद करता है?
    नहीं, विज्ञान पारंपरिक व्यंजनों को समझकर उन्हें और बेहतर, पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाने में मदद करता है, जो संस्कृति और विज्ञान का मेल है।

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