ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी ट्रैवल बैन को और बढ़ाते हुए सीरिया, बुर्किना फासो, माली, नाइजर, साउथ सूडान और फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी पासपोर्ट धारकों पर पूरी तरह प्रवेश प्रतिबंध लगा दिया। अब 39 देशों के नागरिकों पर आंशिक या पूर्ण पाबंदी लागू है।
अफ़गान हमले के बाद सख्ती: ट्रंप ने 5 नए देश और फ़िलिस्तीनियों को अमेरिकी ट्रैवल बैन लिस्ट में जोड़ा
नया ट्रैवल बैन: किन पर पूरी तरह रोक लगी?
व्हाइट हाउस की ताज़ा घोषणा के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने जून में जारी पिछली सूची को आगे बढ़ाते हुए पाँच और देशों के नागरिकों पर अमेरिका में प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। इनमें बुर्किना फासो, माली, नाइजर, साउथ सूडान और सीरिया शामिल हैं। इसके साथ ही, फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी द्वारा जारी या एंडोर्स्ड ट्रैवल डॉक्युमेंट रखने वाले व्यक्तियों पर भी अमेरिका आने पर पूरी रोक लगा दी गई है।
इससे पहले जून में घोषित बैन के तहत अफ़ग़ानिस्तान, म्यांमार, चाड, कांगो गणराज्य, इक्वेटोरियल गिनी, इरीट्रिया, हैती, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन के नागरिकों पर पूर्ण बैन लगाया गया था, जबकि बुरुंडी, क्यूबा, लाओस, सिएरा लियोन, टोगो, तुर्कमेनिस्तान और वेनेज़ुएला जैसे देशों के नागरिकों पर आंशिक प्रतिबंध लागू थे।
किन 15 देशों पर अब आंशिक पाबंदियां?
नए प्रोक्लेमेशन में 15 और देशों को ऐसे समूह में रखा गया है, जिनके नागरिकों पर ‘partial travel restrictions’ यानी सीमित तरह के वीज़ा, कड़ी स्क्रीनिंग या कुछ श्रेणियों में रोक जैसी शर्तें लागू होंगी। इन देशों में अंगोला, एंटीगुआ एंड बारबुडा, बेनिन, कोट दीव्वार (Côte d’Ivoire), डॉमिनिका, गैबॉन, गाम्बिया, मलावी, मॉरिटानिया, नाइजीरिया, सेनेगल, तंजानिया, टोंगा, ज़ाम्बिया और ज़िम्बाब्वे शामिल बताए गए हैं।
कई मामलों में इन देशों पर पहले से आंशिक पाबंदियां थीं, जिन्हें अब और कड़ा किया गया है, जबकि कुछ देशों को पहली बार ऐसे सूचीबद्ध किया गया है। इन प्रतिबंधों का मतलब अक्सर यह होता है कि पर्यटन, स्टूडेंट या इमिग्रेशन वीज़ा पर खास अतिरिक्त शर्तें लगाई जाएं या कुछ कैटेगरी के वीज़ा अस्थायी तौर पर बंद कर दिए जाएं।
फ़िलिस्तीनी पासपोर्ट धारकों पर क्या असर होगा?
सबसे विवादित फैसला फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी द्वारा जारी ट्रैवल डॉक्युमेंट रखने वाले व्यक्तियों पर पूर्ण प्रतिबंध है। अमेरिका फ़िलिस्तीन को एक संप्रभु देश के रूप में मान्यता नहीं देता, इसलिए आदेश में ‘Palestinian Authority-issued or endorsed travel documents’ शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, यानी वे लोग जो पश्चिम तट (West Bank) या ग़ाज़ा जैसे क्षेत्रों से फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी के जारी दस्तावेज़ों पर यात्रा करने की कोशिश करेंगे।
व्हाइट हाउस का तर्क है कि वेस्ट बैंक और ग़ाज़ा में कई अमेरिकी-निर्धारित आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं जिन्होंने अमेरिकी नागरिकों की हत्या की है, और चल रहे संघर्ष और सीमित प्रशासनिक नियंत्रण के कारण फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी के जारी डॉक्युमेंट्स की विश्वसनीयता और वेरिफिकेशन मुश्किल हो गया है। इसलिए ऐसे दस्तावेज़धारकों की पृष्ठभूमि की पर्याप्त जांच करना इस समय संभव नहीं है।
सीरियाई नागरिकों पर प्रतिबंध क्यों बढ़ा?
सीरिया पहले भी अमेरिकी निगरानी सूची में रहा है, लेकिन अब उसे उन देशों के समूह में डाल दिया गया है जिन पर पूरा ट्रैवल बैन लागू है। व्हाइट हाउस के फैक्ट शीट में कहा गया कि सीरिया अभी भी पासपोर्ट और नागरिक दस्तावेज़ जारी करने के लिए एक मजबूत केंद्रीय अथॉरिटी, सही डेटा बेस और पर्याप्त वेटिंग-स्क्रीनिंग प्रक्रिया से वंचित है।
हालांकि बयान में यह भी माना गया कि अमेरिका और सीरिया के बीच हाल में कुछ सहयोग बढ़ा है और सुरक्षा मसलों पर बात चल रही है, लेकिन फिलहाल वीज़ा देने से पहले भरोसेमंद वेरिफिकेशन के लिए जरूरी आधार मौजूद नहीं है। इसी आधार पर सीरियाई नागरिकों पर प्रवेश प्रतिबंध को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ का अनिवार्य कदम बताया गया है।
अफ़ग़ान नेशनल गार्ड शूटिंग और उसका राजनीतिक संदर्भ
इस नए कदम की टाइमिंग महत्वपूर्ण है। ट्रैवल बैन विस्तार की घोषणा थैंक्सगिविंग वीकेंड पर व्हाइट हाउस के पास दो नेशनल गार्ड सैनिकों पर फायरिंग की घटना के कुछ ही हफ्तों बाद हुई। आरोप एक 29 वर्षीय अफ़ग़ान मूल के व्यक्ति रहमानुल्लाह लाकनवाल पर लगा, जो 2021 में ‘Operation Allies Welcome’ कार्यक्रम के तहत अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिका लाया गया था।
ट्रंप प्रशासन ने इस घटना के बाद न केवल अफ़ग़ान रिफ्यूजी प्रोग्राम और बाइडेन दौर के रेस्क्यू कार्यक्रमों की दोबारा समीक्षा की मांग की, बल्कि इसे यह कहकर जोड़ा कि ‘थर्ड वर्ल्ड कंट्रीज़’ से आने वाली इमिग्रेशन पर स्थायी रोक या ‘पॉज़’ लगाने की जरूरत है। नए ट्रैवल बैन विस्तार को इसी सुरक्षा और राजनीति के कॉम्बिनेशन का नतीजा माना जा रहा है।
व्हाइट हाउस का आधिकारिक तर्क क्या है?
व्हाइट हाउस द्वारा जारी प्रोक्लेमेशन और फैक्ट शीट में कहा गया है कि कई प्रभावित देशों में ‘व्यापक भ्रष्टाचार, फर्जी या अविश्वसनीय नागरिक दस्तावेज़ और क्रिमिनल रिकॉर्ड सिस्टम की कमी’ है, जिसके कारण अमेरिकी एजेंसियों के लिए वीज़ा आवेदकों की सही पृष्ठभूमि जांच करना मुश्किल हो जाता है।
इसके अलावा, कुछ देशों में वीज़ा ओवरस्टे रेट बहुत ज़्यादा हैं, कई सरकारें निर्वासित नागरिकों को वापस लेने से इनकार करती हैं या उनके पास स्थिर प्रशासन और सुरक्षा तंत्र की कमी है। प्रोक्लेमेशन के शब्दों में, ये प्रतिबंध ‘उन विदेशी नागरिकों के प्रवेश को रोकने के लिए जरूरी हैं जिनके बारे में अमेरिका के पास जोखिम आकलन के लिए पर्याप्त जानकारी नहीं है, और जिनके माध्यम से कानून-व्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति संबंधी लक्ष्यों को खतरा हो सकता है।’
आलोचना और मानवाधिकार एंगल
नए बैन ने राजनीतिक और मानवाधिकार बहस भी तेज कर दी है। अमेरिकी कांग्रेस की फ़िलिस्तीनी मूल की सांसद रशीदा तलीब सहित कई नेताओं ने इसे ‘नस्लवादी क्रूरता’ और अफ्रीकी व मुस्लिम-बहुल देशों को निशाना बनाने वाला कदम बताया। उनका कहना है कि यह नीति युद्ध और हिंसा से भाग रहे निर्दोष शरणार्थियों और छात्रों को भी निशाना बना रही है, खासकर फ़िलिस्तीनियों को जो पहले से युद्ध और नाकेबंदी झेल रहे हैं।
मानवाधिकार संगठनों का तर्क है कि ऐसी पॉलिसी ‘कलेक्टिव पनिशमेंट’ जैसी है, जो पूरे देश या समुदाय को ‘खतरा’ मानकर उनके लिए कानूनी और सुरक्षित माइग्रेशन का रास्ता लगभग बंद कर देती है। इससे परिवारों के पुनर्मिलन, शिक्षा, मेडिकल ट्रीटमेंट और जॉब मौकों पर असर पड़ेगा।
नई सूची कब से लागू होगी और कुल कितने देश प्रभावित हैं?
ट्रैवल बैन विस्तार पर आधारित व्हाइट हाउस फैक्ट शीट के अनुसार, यह नई व्यवस्था 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होगी। इसके बाद कुल मिलाकर 39 देशों के नागरिकों और फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी दस्तावेज़धारकों पर या तो पूर्ण या आंशिक अमेरिकी वीज़ा प्रतिबंध लागू होंगे।
कुल तस्वीर इस तरह है:
- 17 देश + फ़िलिस्तीनी डॉक्युमेंट्स पर पूर्ण ट्रैवल बैन (पहले के 12 + अब के 5, साथ ही PA डॉक्युमेंट्स)
- 22 देशों पर आंशिक या श्रेणी आधारित प्रतिबंध (पहले के 7 + अब के 15)
यह लिस्ट समय-समय पर समीक्षा के अधीन बताई गई है, लेकिन आलोचकों का मानना है कि एक बार किसी देश पर बैन लगा तो उसे हटाना राजनीतिक रूप से मुश्किल हो जाता है।
5 अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
- सवाल: नए ट्रैवल बैन में किन देशों को पूरी तरह जोड़ दिया गया है?
जवाब: नई सूची में बुर्किना फासो, माली, नाइजर, साउथ सूडान और सीरिया के नागरिकों पर पूर्ण प्रवेश रोक लगाई गई है। साथ ही फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी द्वारा जारी या एंडोर्स्ड ट्रैवल डॉक्युमेंट्स रखने वालों पर भी पूरा बैन लागू किया गया है। - सवाल: पहले से किस-किस देश पर फुल बैन था?
जवाब: जून की घोषणा के अनुसार अफ़ग़ानिस्तान, म्यांमार, चाड, कांगो गणराज्य, इक्वेटोरियल गिनी, इरीट्रिया, हैती, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन पर पहले से ही पूर्ण ट्रैवल बैन लागू था। - सवाल: 15 नए देशों पर ‘partial restrictions’ का क्या मतलब है?
जवाब: अंगोला, एंटीगुआ एंड बारबुडा, बेनिन, कोट दीव्वार, डॉमिनिका, गैबॉन, गाम्बिया, मलावी, मॉरिटानिया, नाइजीरिया, सेनेगल, तंजानिया, टोंगा, ज़ाम्बिया और ज़िम्बाब्वे जैसे देशों के नागरिकों पर कुछ वीज़ा कैटेगरी या इमिग्रेशन चैनल्स में अतिरिक्त शर्तें या सीमित प्रवेश की व्यवस्था की गई है, न कि पूरी तरह ‘नो एंट्री’। - सवाल: फ़िलिस्तीनी पासपोर्ट/डॉक्युमेंट धारकों के लिए क्या बदला है?
जवाब: पहले से लगाए गए कड़े नियमों के बाद अब फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी द्वारा जारी या एंडोर्स्ड ट्रैवल डॉक्युमेंट्स रखने वाले लोगों के लिए वर्क, स्टडी, टूरिज़्म या इमिग्रेशन के लगभग सभी रास्ते बंद कर दिए गए हैं, यानी वे सामान्य स्थिति में अमेरिकी वीज़ा नहीं पा सकेंगे। - सवाल: यह नया ट्रैवल बैन कब लागू होगा और कितने देशों को प्रभावित करेगा?
जवाब: व्हाइट हाउस के अनुसार यह विस्तारित बैन 1 जनवरी 2026 से लागू होगा और कुल मिलाकर 39 देशों के नागरिकों (आंशिक या पूर्ण) के साथ-साथ फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी डॉक्युमेंट धारकों को प्रभावित करेगा।
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