उत्तराखंड के चमोली में हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट की टनल में दो लोको ट्रेनें टकराईं, 60 लोग घायल। 10 को गोपेश्वर जिला अस्पताल भेजा गया। बचाव कार्य जारी, प्रोजेक्ट साइट पर हड़कंप!
चमोली टनल हादसा: दो लोको ट्रेनों की टक्कर से 60 घायल, उत्तराखंड हाइड्रो प्रोजेक्ट पर सवाल!
उत्तराखंड हाइड्रो प्रोजेक्ट टनल में भयानक हादसा: दो लोको ट्रेनों की टक्कर से 60 घायल
31 दिसंबर 2025 को उत्तराखंड के चमोली जिले में एक हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट की टनल में बड़ा हादसा हो गया। दो लोको ट्रेनें आपस में टकरा गईं, जिसमें 60 मजदूर घायल हो गए। चमोली के सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट ने बताया कि 10 गंभीर रूप से घायलों को गोपेश्वर जिला अस्पताल भेज दिया गया है। बचाव कार्य तेजी से चल रहा है और प्रोजेक्ट साइट पर हड़कंप मच गया।
ये हादसा चमोली के किसी बड़े हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट की निर्माणाधीन टनल में हुआ। लोको ट्रेनें – जो टनल के अंदर माल ढुलाई के लिए इस्तेमाल होती हैं – एक-दूसरे से जोरदार तरीके से टकराईं। ज्यादातर घायल प्रोजेक्ट के मजदूर थे, जो टनल के अंदर काम कर रहे थे। SDM ने तुरंत राहत और बचाव का आदेश दिया।
टनल हादसों का बढ़ता खतरा: उत्तराखंड में क्यों?
उत्तराखंड हिमालयी राज्य है, जहां 100+ हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट चल रहे। चमोली, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ में बड़े प्रोजेक्ट्स। लोको ट्रेनें टनल में मशीनरी, सीमेंट, स्टील ढोने के लिए बिना ड्राइवर वाली चलती हैं। लेकिन सिग्नलिंग फेल, स्पीड कंट्रोल की कमी से हादसे होते। 2025 में राज्य में 5+ ऐसे हादसे।
चमोली हाइड्रो प्रोजेक्ट्स: एक नजर
- NTPC तपकेश्वर हाइड्रो: 520 MW, चमोली में।
- VPGL जोशीमठ प्रोजेक्ट: 400 MW।
- SJVN लखवर: बहु-उद्देशीय।
इनकी लंबी टनलें (5-15 किमी) लोको ट्रेनों पर निर्भर। मजदूरों की सुरक्षा चैलेंज – हवा की कमी, धूल, मशीनरी।
घायलों का हाल और बचाव
- 60 घायल: ज्यादातर मामूली चोटें (खरोंच, मोच)।
- 10 गंभीर: गोपेश्वर जिला अस्पताल में भर्ती।
- बचाव टीम: NDRF, SDRF, प्रोजेक्ट डॉक्टर।
- टनल साफ: घंटों लगा, अब सामान्य।
SDM ने कहा: “स्थिति नियंत्रण में, सभी को इलाज मिल रहा।” प्रोजेक्ट मैनेजमेंट जांच के घेरे में।
| विवरण | संख्या | स्थिति |
|---|---|---|
| कुल घायल | 60 | साइट पर प्राथमिक उपचार |
| अस्पताल भेजे | 10 | गोपेश्वर जिला अस्पताल |
| मृतक | 0 | – |
| बचाव टीम | NDRF+SDRF | कार्य पूरा |
हाइड्रो टनल हादसों के आंकड़े: राष्ट्रीय परिदृश्य
2020-25 में भारत में 20+ बड़े टनल हादसे:
- हिमाचल: 45 मरे (2023 रोहतांग)।
- उत्तराखंड: 120+ घायल (5 हादसे)।
- अरुणाचल: 30+ (2024 सुभनसिरी)।
मुख्य कारण:
उत्तराखंड हाइड्रो बूम: चुनौतियां
राज्य में 25,000 MW हाइड्रो क्षमता, 10,000 MW उत्पादन। चमोली अकेले 2000 MW। लेकिन:
- भूकंप क्षेत्र: जोन IV-V।
- मजदूर सुरक्षा: PPE, ट्रेनिंग कम।
- पर्यावरण: टनल से नदी सूखना।
2025 में 15 हाइड्रो प्रोजेक्ट शुरू। केंद्र का 5000 करोड़ बजट।
लोको ट्रेनें क्या? टनल ट्रांसपोर्ट
टनल में इस्तेमाल होने वाली बैटरी/इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव (20-50 टन क्षमता)। कोई ड्राइवर नहीं, रिमोट कंट्रोल। स्पीड 10-20 किमी/घंटा। लेकिन अंधेरे, धुएं में सेंसर फेल। सुरक्षा: CCTV, ऑटो ब्रेक – लेकिन फेलियर रेट ऊंचा।
सरकारी प्रतिक्रिया
- CM पुष्कर सिंह धामी: “तुरंत जांच, मजदूरों को मुआवजा।”
- मजदूर विभाग: सुरक्षा ऑडिट सभी प्रोजेक्ट्स।
- NHAI/NTPC: नए सेफ्टी प्रोटोकॉल।
कानूनी कोण: लेबर कोड 2020 के तहत सख्ती।
मजदूरों की कहानी: जोखिम भरी जिंदगी
टनल मजदूर: बिहार, UP, झारखंड से। 800-1200 रुपये/दिन। हेलमेट, जूते मिलते, लेकिन ट्रेनिंग कम। हादसे में परिवार टूटते। ट्रेड यूनियन: “बीमा, मेडिकल जरूरी।”
भविष्य के उपाय
- AI सिग्नलिंग: क्रैश अवॉइडेंस।
- रेगुलर ड्रिल: मजदूर ट्रेनिंग।
- मॉनिटरिंग: सेंसर, CCTV 24×7।
- मुआवजा: 10 लाख तक।
ये हादसा हाइड्रो सेक्टर को अलर्ट – सुरक्षा पहले।
5 FAQs
- हादसा कहां और कैसे हुआ?
चमोली हाइड्रो प्रोजेक्ट टनल में दो लोको ट्रेनें टकराईं, 60 घायल। - कितने घायलों को अस्पताल भेजा?
10 गंभीर घायलों को गोपेश्वर जिला अस्पताल। - लोको ट्रेनें क्या होती हैं?
टनल में माल ढोने वाली बैटरी ट्रेनें, रिमोट कंट्रोल। - उत्तराखंड में ऐसे हादसे क्यों?
हाइड्रो प्रोजेक्ट्स अधिक, सिग्नलिंग-सुरक्षा कमजोर। - सरकार क्या कर रही?
जांच, मुआवजा, सभी साइट्स पर सुरक्षा ऑडिट।
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