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Candy vs Your Teeth:कौन–सी मिठाई आपके इनेमल को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुँचाती है?

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हार्ड, स्टिकी और सौर Candy दाँतों के इनेमल को तोड़–घिसकर Cavity और दर्द बढ़ाती हैं। जानें, कौन–सी मिठाई कितनी हानिकारक है और फेस्टिव सीज़न में दाँत कैसे सुरक्षित रखें।

सिर्फ एक Candy से शुरू होकर Root Canal तक कैसे पहुँच जाता है मामला

फेस्टिव सीज़न हो, क्रिसमस हो या बच्चों की बर्थडे पार्टी – टेबल पर सबसे पहले जो चीज़ जगह बना लेती है, वह है रंग–बिरंगी कैंडी, लॉलीपॉप, टॉफ़ी और चॉकलेट।
डेंटिस्ट बताते हैं कि छुट्टियों में इमरजेंसी विज़िट बढ़ जाती हैं – टूटी फिलिंग, क्रैक्ड टूथ, तेज़ दर्द या अचानक सूजन – और अक्सर इसके पीछे सीधे अपराधी होते हैं हार्ड और स्टिकी कैंडी, जो या तो दाँत को फिजिकली क्रैक कर देते हैं या धीरे–धीरे इनेमल घिसकर अंदर कैविटी बनाते हैं।

सेक्शन 1: हार्ड कैंडी – “शुगर रॉक” जो दाँत को हथौड़ा समझ लेती है
डेंटल प्रैक्टिस से रिपोर्ट्स साफ़ कहती हैं कि बर्फ या हार्ड कैंडी पर ज़ोर से चबाने से दाँत में क्रैक, इनेमल में चिप, या क्राउन/फिलिंग निकल जाना बहुत आम है; इनेमल एक बार टूट जाए तो खुद से दोबारा नहीं बनता।
हार्ड कैंडी, जैसे candy canes या कलरफुल लॉलीपॉप, अगर मुँह में लंबे समय तक घुलें तो लगातार शुगर का “बाथ” बनाते हैं; मुँह के बैक्टीरिया इस शुगर को खाकर एसिड बनाते हैं, जो इनेमल को धीरे–धीरे घोलने लगते हैं और कैविटी का रास्ता तैयार करते हैं।

  • कई डेंटल ब्लॉग्स बताते हैं कि हार्ड कैंडी से डेंटल वर्क (जैसे क्राउन, ब्रिज, ब्रेसेज़) को भी बड़ा नुकसान पहुँच सकता है – तार झुकना, ब्रैकेट निकलना या क्राउन हिल जाना।

सेक्शन 2: स्टिकी और सौर कैंडी – डबल अटैक: शुगर + एसिड
सिर्फ हार्ड नहीं, स्टिकी कैंडी (टॉफ़ी, कैरमेल, गमीज़, च्युइंग कैंडी) और सौर कैंडी (खट्टी टॉफ़ी, sour gummies) दाँतों के लिए और भी खतरनाक कॉम्बिनेशन बनाते हैं।

  • स्टिकी कैंडी दाँतों की दरारों और ब्रेसेज़ के आस–पास चिपक जाती है और लंबे समय तक साफ नहीं होती, जिससे बैक्टीरिया को शुगर पर दावत मिलती रहती है।
  • sour candies में citric/ascorbic जैसे एसिड होते हैं, जो सीधा इनेमल को “रासायनिक” रूप से घोल सकते हैं; रिसर्च और डेंटल एसोसिएशन गाइड्स के अनुसार sour candies इनेमल इरोजन के सबसे बड़े गुनाहगारों में गिने जाते हैं।

कुछ मुख्य बातें:

  • एक डेंटल पेपर में बताया गया कि sour candies और acidic ड्रिंक्स के कारण इनेमल पर “devastating erosion” देखा गया, खासकर जब इन्हें बार–बार और लंबे समय तक खाया गया।
  • डेंटल गाइडेंस के अनुसार, American Dental Association sour candies को “सबसे खराब” में से एक मानती है और इन्हें avoid करने की सलाह देती है, खासकर बच्चों में।

सेक्शन 3: कौन–सी मिठाई कितनी हानिकारक? (सिंपल टेबल)

मिठाई/स्नैकदाँतों के लिए मुख्य रिस्कक्यों खतरनाक
हार्ड कैंडी (candy cane, लॉलिपॉप)क्रैक, चिप, इनेमल घिसना, कैविटीबहुत सख्त, चबाने पर दाँत/फिलिंग टूट सकती है; धीरे–धीरे घुलकर लंबे समय तक शुगर–बाथ बनाती है।
स्टिकी टॉफ़ी, कैरमेल, गमीज़हाई कैविटी रिस्क, खासकर बच्चों और ब्रेसेज़ वाले मेंदाँत की दरारों और तारों में फँस जाती है, लंबे समय तक साफ नहीं होती, बैक्टीरिया को लगातार शुगर मिलती रहती है।
सौर कैंडी (खट्टी टॉफ़ी, sour gummies)इनेमल इरोजन + कैविटी का डबल रिस्कबहुत एसिडिक; सीधे इनेमल घोलती हैं, ऊपर से शुगर बैक्टीरिया के लिए fuel बनती है।
दूध वाली चॉकलेट, केक, बिस्किटमध्यम रिस्क, अगर बार–बार स्नैकिंग होशुगर ज़्यादा; जल्दी मुँह से निकल भी जाती है, लेकिन अगर दिन भर थोड़ा–थोड़ा खाते रहें तो बार–बार एसिड अटैक होता है।
डार्क चॉकलेट (70%+), नट्स के साथअपेक्षाकृत कम रिस्क, “बेहतर विकल्प”जल्दी पिघलकर मुँह से साफ हो जाती है; शुगर कुछ कम; कुछ स्टडीज़ में कैविटी रिस्क दूसरे कैंडी से कम बताया गया।
चीज़, नट्स, ताज़ा फलदाँत–फ्रेंडली स्नैक्सलार बढ़ाते हैं, कुछ हद तक एसिड न्यूट्रलाइज़ करते हैं; फाइबर और मिनरल से दाँत व शरीर दोनों को फायदा।

सेक्शन 4: कितनी बार, कब और कैसे – मीठा खाने की “स्मार्ट टाइमिंग”
डेंटल गाइड्स बार–बार यही बात दोहराते हैं कि मुख्य समस्या सिर्फ “कितना मीठा” नहीं, बल्कि “कितनी बार और कितनी देर तक” मुँह में शुगर और एसिड का अटैक होता है।

  • sweets को meal के साथ खाएँ, दिन भर थोड़ा–थोड़ा नहीं: खाने के साथ लार ज़्यादा बनती है, जो एसिड और शुगर को जल्दी साफ कर देती है; बार–बार स्नैकिंग से हर थोड़ी देर में नया एसिड अटैक शुरू हो जाता है।
  • “ग्रोसिंग” से बचें: टीवी देखते–देखते, ऑफिस डेस्क पर या स्टडी टेबल पर हर 10–15 मिनट में कैंडी उठाने से दाँतों को रिकवर होने का समय नहीं मिलता।
  • हर मीठे के बाद plain पानी: कई डेंटिस्ट सजेस्ट करते हैं कि मिठाई या जूस के बाद plain पानी से मुँह कुल्ला करें या कुछ घूँट पानी पी लें, ताकि शुगर और एसिड कुछ हद तक धुल जाए।
  • एसिडिक चीज़ खाने के बाद तुरन्त ब्रश न करें: sour candy, कोल्ड ड्रिंक, सिट्रस जूस जैसी चीज़ों के बाद 20–30 मिनट इंतज़ार करके ब्रश करना बेहतर है, ताकि soft हुआ इनेमल फिर से थोड़ा रिहार्ड हो सके; वर्ना ब्रशिंग से और घिस सकता है।

सेक्शन 5: बच्चों के लिए कैंडी–कोड – रियलिस्टिक लेकिन सेफ रूल्स
पेरेंट्स के लिए “कैंडी को पूरी तरह बैन” करना practically मुश्किल है; डेंटिस्ट भी ज्यादा ज़ोर “कंट्रोल और चॉइस” पर देते हैं, न कि सिर्फ सज़ा पर।

कुछ व्यावहारिक नियम:

  • “कैंडी टाइम” तय करें – दिन भर नहीं, बस एक–दो फ़िक्स्ड टाइम जैसे लंच या डिनर के बाद; इससे कुल एसिड अटैक की फ्रीक्वेंसी कम हो जाएगी।
  • हार्ड और सौर कैंडी सीमित रखें; बच्चों को समझाएँ कि “इस तरह की कैंडी महीने में कभी–कभार, रोज़ नहीं” – खासकर अगर पहले से कैविटी या ब्रेसेज़ हैं।
  • sugar–free gum (xylitol–based) को बोनस ट्रीट बनाएं – ADA–approved sugarless gum लार बढ़ाती है, एसिड को न्यूट्रलाइज़ करने में मदद कर सकती है और कैविटी रिस्क कम करने में सहायक बताई गई है।
  • “एक कैंडी, एक ब्रश या कम से कम रिंस”: रात में मीठा खाने के बाद बिना ब्रश किये सोना कैविटी के लिए perfect storm माना जाता है; बच्चों के साथ brushing को fun रिचुअल बनाना ज़रूरी है।

सेक्शन 6: डेंटिस्ट–स्टाइल फेस्टिव डेंटल केयर चेकलिस्ट

  1. दिन में दो बार फ्लोराइड टूथपेस्ट से ब्रश
    फ्लोराइड इनेमल को मजबूत बनाता है और एसिड अटैक के बाद शुरुआती डिके को रिवर्स करने में मदद कर सकता है; कई डेंटल गाइड्स खासकर “कैंडी सीज़न” में रेगुलर फ्लोराइड ब्रशिंग पर ज़ोर देते हैं।
  2. रोज़ एक बार फ्लॉस या इंटरडेंटल ब्रश
    कैंडी और टॉफ़ी अक्सर दाँतों के बीच अटक कर रह जाती हैं; फ्लॉस या इंटरडेंटल ब्रश ही उन्हें निकाल सकता है, वरना वहीं कैविटी बनने की संभावना बढ़ती है।
  3. मीठा खाने से पहले थोड़ा खाएँ, बाद में कुल्ला करें
    यह छोटा–सा रूटीन – “पहले पानी, फिर मिठाई, फिर पानी” – मुँह की acidity को जल्दी नॉर्मल करने में मदद करता है और कुल sugar load को भी कुछ हद तक कम कर सकता है।
  4. डार्क चॉकलेट + नट्स, हार्ड/स्टिकी कैंडी से बेहतर
    कई डेंटल सोर्सेज बताते हैं कि डार्क चॉकलेट (कम से कम 70% cacao) आम कैंडी की तुलना में कम शुगर और जल्दी melt होकर साफ होने के कारण बेहतर विकल्प माना जा सकता है, खासकर अगर इसे नट्स या फल के साथ खाया जाए।
  5. “फेस्टिव सीज़न स्पेशल” डेंटल चेक–अप
    साल में एक–दो बार डेंटल विज़िट से छोटी–छोटी कैविटी, क्रैक या डھیली फिलिंग समय रहते पकड़ में आ सकती है, ताकि छुट्टियों के बीच अचानक दर्द या इमरजेंसी से बचा जा सके।

FAQs

  1. अगर हार्ड कैंडी चबाते समय दाँत में हल्की–सी “क्लिक” या दर्द महसूस हुआ लेकिन बाद में ठीक लग रहा है, तो क्या करना चाहिए?
    अगर चबाते समय अचानक तेज़ झटका, क्लिक, या कुछ फँसने जैसा लगे, तो इनेमल में hairline crack या फिलिंग में माइक्रो–चिप संभव है; शुरुआत में दर्द न भी हो, बाद में sensitivity या चबाते समय दर्द शुरू हो सकता है। बेहतर है कि अगली डेंटल विज़िट में ज़रूर चेक–अप करवाएँ, खासकर अगर ठंडा/गरम खाने पर झनझनाहट महसूस हो रही हो।
  2. क्या हार्ड कैंडी को सिर्फ मुँह में घुलने देने से कोई रिस्क नहीं रहता?
    घुलने देने से क्रैक/टूटने का रिस्क कम होता है, लेकिन cavity का रिस्क पूरी तरह नहीं जाता, क्योंकि शुगर लंबे समय तक मुँह में रहती है; बैक्टीरिया इसे एसिड में बदलकर इनेमल पर हमला करते हैं। इसलिए घुलने के बाद पानी से कुल्ला करना और दिन में दो बार फ्लोराइड ब्रशिंग फिर भी ज़रूरी है।
  3. क्या डार्क चॉकलेट रोज़ खाना दाँतों के लिए ठीक है?
    डार्क चॉकलेट दूसरे कैंडी की तुलना में “कम खराब” विकल्प है, क्योंकि यह जल्दी मुँह से साफ हो जाती है और इसकी शुगर कुछ कम होती है, लेकिन इसमें भी शुगर होता है। अगर आप रोज़ खाते हैं तो मात्रा और टाइमिंग (जैसे भोजन के साथ) पर ध्यान देना और अच्छी ओरल हाइजीन रखना फिर भी ज़रूरी है।
  4. sugar–free या “डायट” कैंडी क्या पूरी तरह सेफ होती हैं?
    कई sugar–free कैंडी में शुगर अल्कोहॉल या एसिडिक फ्लेवरिंग होते हैं; शुगर नहीं होने से cavity रिस्क कुछ कम हो सकता है, लेकिन अगर वे बहुत एसिडिक हैं (खासकर sour), तो इनेमल इरोजन का रिस्क फिर भी रह सकता है। इसलिए “डायट” टैग देख कर बेधड़क unlimited खाना भी सही नहीं है।
  5. बच्चों को अगर रोज़ एक–दो छोटी कैंडी दे रहे हैं तो क्या extra फ्लोराइड या माउथवॉश की ज़रूरत है?
    WHO और डेंटल गाइड्स का ज़ोर सबसे पहले अच्छे brushing पर है – दिन में दो बार फ्लोराइड टूथपेस्ट, रात में ब्रश के बाद कुछ न खाना; यह बेसिक नियम सबसे ज़्यादा असर करता है। extra फ्लोराइड वॉर्निश या माउथवॉश की ज़रूरत तब तय होती है जब बच्चा high–risk हो (बहुत कैविटी, braces, खास मेडिकल कंडीशन); ऐसे केस में पेडियाट्रिक डेंटिस्ट से पर्सनलाइज़्ड सलाह लेना बेहतर है।

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