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पूर्वोत्तर का विकास विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण का केन्द्र बिन्दु – केंद्रीय मंत्री

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केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने पूर्वोत्तर में खनिज और कोयला क्षेत्र के विकास के लिए केंद्र सरकार के पूर्ण सहयोग की पुष्टि की

नई दिल्ली। केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने गुवाहाटी में आयोजित पूर्वोत्तर खनन मंत्रियों के दूसरे सम्मेलन में खनिज और कोयला समृद्ध पूर्वोत्तर राज्यों को भारत सरकार के पूर्ण सहयोग की पुष्टि की है। केंद्रीय मंत्री ने कार्यक्रम के दूसरे दिन उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए खनन क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को सशक्त बनाने, परियोजना अनुमोदन में तेजी लाने और क्षेत्र में टिकाऊ खनन कार्य प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर का विकास विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण का केन्द्र बिन्दु है, जहां पूर्वोत्तर के आठ राज्यों – असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा तथा सिक्किम – को अष्टलक्ष्मी के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने इस तथ्य का उल्लेख किया कि रोजगार सृजन, निवेश आकर्षित करने तथा खनिज और कोयला क्षेत्र के विकास के माध्यम से समावेशी आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए केंद्र व राज्य सरकार के बीच समन्वय बढ़ाना महत्वपूर्ण है।

सम्मेलन के दौरान, सभी आठ पूर्वोत्तर राज्यों के प्रतिनिधियों ने खनन और कोयला क्षेत्रों को आगे बढ़ाने के लिए अपने रोडमैप प्रस्तुत किए। मेघालय, असम, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के मंत्रियों ने नागालैंड के मुख्यमंत्री के सलाहकार के साथ मिलकर राज्य-विशिष्ट रणनीतियों, उपलब्धियों तथा भविष्य की योजनाओं की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने ब्लॉक नीलामी, महत्वपूर्ण खनिजों की खोज, कोयला खदानों के पुनरुद्धार, लघु खनिजों के विकास और टिकाऊ खनन मॉडल को अपनाने में हुई प्रगति पर चर्चा की।

चर्चाओं में पर्यावरण सुरक्षा उपायों को आर्थिक विकास के साथ संतुलित करने की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाया गया। राज्यों ने क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने और अपनी पूरी संसाधन क्षमता का उपयोग करने के लिए अधिक केंद्रीय सहायता की भी मांग की है।

खनन मंत्रालय में अपर सचिव संजय लोहिया ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए देश भर में अन्वेषण प्रयासों को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई), खनिज अन्वेषण निगम लिमिटेड (एमईसीएल) और राज्य सरकारों से निकट समन्वय के साथ काम करने तथा विशेष रूप से महत्वपूर्ण एवं रणनीतिक खनिजों के लिए आधुनिक, लक्षित व समयबद्ध अन्वेषण पद्धतियों को अपनाने का आग्रह किया।

संजय लोहिया ने कहा कि भारत सरकार ने अन्वेषण गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अभूतपूर्व नीति तथा बजटीय सहायता प्रदान की है और अब समय आ गया है कि इस गति को जमीनी स्तर पर क्रियान्वित किया जाए।

केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने सम्मेलन के अवसर पर गुवाहाटी में भारतीय खान ब्यूरो (आईबीएम) के नए क्षेत्रीय कार्यालय का उद्घाटन किया। उद्घाटन असम के खान मंत्री कौशिक राय की उपस्थिति में हुआ; इसके अतिरिक्त, वी.एल. कांता राव, सचिव (खान मंत्रालय), संजय लोहिया, अतिरिक्त सचिव (खान मंत्रालय) तथा आईबीएम के महानियंत्रक पीयूष शर्मा और केंद्र तथा राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। नए आईबीएम कार्यालय से पूर्वोत्तर में खनन क्षेत्र के लिए नियामक निगरानी, तकनीकी सहायता और सुविधा सेवाओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।

दो दिवसीय सम्मेलन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के तहत सतत विकास, ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक परिवर्तन के राष्ट्रीय एजेंडे के साथ क्षेत्रीय खनन रणनीतियों को संरेखित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य किया।

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