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घरों में तैयार की गई रजिस्‍ट्री,गोमतीनगर भूखंड घोटाले की जांच ने चौंकाया

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दिमाग व हिम्मत बांधने वाले लखनऊ विकास प्राधिकरण के बाबुओं ने अपने ही प्राधिकरण की संपत्ति के वारे न्यारे चंद लाख में कर डाले। अपनी जेबें भरने के लिए लविप्रा के राजस्व की चिंता नहीं की। प्रथम दृष्टया जांच में टीम को यह पता चला है कि घरों में ही गोमती नगर भूखंड घोटाले के सभी दस्तावेज तैयार करवाएं गए और यहीं वेब कैमरे से फर्जी गवाहों व फर्जी आवंटी बनकर फोटो खींची गई। यही नहीं मृतक व सेवानिवृत्त अधिकारियों व कर्मचारियों के फर्जी हस्ताक्षर का उपयोग करके पीछे की तिथि से रजिस्ट्री कर दी गई। जो स्टंप इस्तेमाल हुए, उनको कुरेदा गया, जिससे जांच में मिलान न हो सके। कुल मिलाकर लविप्रा सचिव पवन कुमार गंगवार की जांच में एक एक करके परतें खुलनी शुरू हो गई है।

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सचिव लविप्रा ने सभी पंद्रह भूखंडों की जांच तेज कर दी है। उन्होंने बताया कि अभी तक तीन भूखंड फर्जी निकल चुके हैं। एक में मुकदमा हुआ है और कब्जा भी ले लिया गया है। अब विभूति खंड के भूखंड संख्या 3/43 और विकल्प खंड के भूखंड संख्या 1/10 एच भी फर्जी मिले हैं। वहीं विनीत खंड के भूखंड संख्या 1/76 बी में हस्ताक्षर का सत्यापन अभी फंसा हुआ है। वहीं विराम खंड एक में भूखंड की घेराबंदी शुरू हो गई है। लविप्रा ने अपने पैनल के जिस वकील को जांच में लगाया था, उससे प्राधिकरण को ऐसे तथ्य हाथ लगे हैं, जिससे अफसरों को समझ में आ गया है भूखंड घोटाले की जड़े बहुत मजबूत हैं। वर्तमान में गोमती नगर के दलाल अपने फंसे हुए भूखंडों को औने-पौने दाम में बेचना चाहते हैं। इसलिए अब विराम, विभूति और विकल्प खंड के फर्जी भूखंडों को बेचने के लिए ग्राहक भी लगा दिए हैं, वहीं लविप्रा के बाबू इन भूखंडों की पूछताछ करने वाले ग्राहकों को सचेत कर रहे हैं। वहीं सचिव लविप्रा पवन कुमार गंगवार ने बताया कि जांच पूरी होने के बाद कब्जा एक एक करके लिया जाएगा।

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