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Alaska से Himalaya तक:बर्फबारी का खतरा

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Melting glacier
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Alaska और Himalaya के पिघलते ग्लेशियरों के पानी में पोषक तत्वों की कमी—यह प्राकृतिक बदलाव समुद्री फूड-चेन, प्लवक, मछलियों और तटीय आजीविका के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।

पिघलते Glacier से समुद्री जीवन और मछली पालन खतरे में

Melting Glaciers, Weakening Ocean Nutrition Chains
Scripps Institution of Oceanography के नए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि अलास्का समेत दुनिया के ग्लेशियर जितनी तेज़ी से पीछे हट रहे हैं, उनकी पिघलती बर्फ में आयरन और मैंगनीज जैसे अहम पोषक तत्वों की मात्रा स्थिर ग्लेशियरों के मुकाबले बहुत कम हो गई है। यह ट्रेंड पूरे समुद्री फूड वेब के लिए गंभीर खतरे की घंटी है।

Glacier Sediment Study: Alarming Drop in Nutrients

  • अलास्का के दो ग्लेशियरों में रिसर्च: एक तेजी से पीछे हटता हुआ (Northwestern) और दूसरा स्थिर (Aialik)।
  • स्थिर ग्लेशियर के तलछट में 18% बायो-उपलब्ध आयरन था, जबकि पीछे हट रहे ग्लेशियर में केवल 13%।
  • मैंगनीज में और भी बड़ी गिरावट—स्थिर में 26%, रिट्रीटिंग में सिर्फ 14-15%।

Why Do Melting Glaciers Lose Their Nutritional Power?

  • जल्दी पिघलने वाले ग्लेशियरों से बहने वाली गाद/मिट्टी समुद्र तक पहुंचने से पहले बड़े ‘पूल’ और धीरे-धीरे बदलती पानी-केमिस्ट्री से गुजरती है।
  • इससे मिनरल बदलाव और पोषक तत्वों की बायो-एवेलिबिलिटी कम हो जाती है—यानि ज्यादा मिट्टी तो मिलती है, लेकिन वो पोषणविहीन होती है।
  • इसका सीधा असर समुद्र में प्लवक (plankton) की ग्रोथ व स्वास्थ पर पड़ता है, जो पूरी फूड चेन का आधार है।

Broader Implications: Impact on Indian Rivers & Fisheries

  • अध्ययन भले ही अलास्का पर केंद्रित है, चिंता भारत की हिमालयी नदियों और समुद्र तटीय मछली पालन तक भी जाती है।
  • हिमालय के ग्लेशियर्स भी तेजी से सिकुड़ रहे हैं—जिससे आने वाले समय में गंगा, ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों तक पहुंचने वाले पोषक तत्व घट सकते हैं, और यह तटीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।
  • कम पोषण के कारण प्लवक और फिश स्टॉक्स में गिरावट और आजीविका संकट संभव।

Way Forward: Beyond Just Counting Glaciers

  • केवल ग्लेशियरों की संख्या देखना काफी नहीं; अब यह जानना ज्यादा जरूरी है कि उनके पिघलने से किन पोषक तत्वों की आपूर्ति बदल रही है।
  • भारत सहित हिमालयी क्षेत्र में मॉनिटरिंग सिस्टम को अपडेट करना होगा ताकि जल गुणवत्ता, नदी स्वास्थ्य और भविष्य की फूड सिक्योरिटी पर पड़ने वाले असर का समय रहते पता चल सके।

FAQs

  1. पिघलते ग्लेशियरों से समुद्री पोषण में गिरावट क्यों?
    • गाद-पूल में केमिकल बदलाव के कारण पोषक तत्वों का स्तर घटता है।
  2. इसका प्लवक और मछलियों पर क्या असर?
    • बेसिक पोषण कमजोर, फूड वेब डगमग, फिश स्टॉक गिर सकते हैं।
  3. क्या ऐसा हिमालय में भी है?
    • रिसर्च अलास्का पर है, पर हिमालय में भी यही ट्रेंड दिखे तो नदी-समुद्र दोनों पर असर।
  4. भारत के लिए क्या खतरे हैं?
    • तटीय फिशरी और आजीविका खतरे में; फूड सिक्योरिटी प्रभावित हो सकती है।
  5. समाधान क्या है?
    • माइकैप मॉनिटरिंग, पानी की क्वालिटी जांच, जल सस्ता प्रबंधन सुधार।

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