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सुनने में ये थोड़ा अजीब लगता है किन्तु श्रीराम के इस वंशज ने युद्ध में पांडवों का नहीं बल्कि कौरवों का साथ दिया था। युद्ध के 13वें दिन अभिमन्यु के हाथों ये वीरगति को प्राप्त हुए।

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प्रभु श्रीराम के दो पुत्र हुए~ लव और कुश।
कुश के पुत्र अतिथि हुए। अतिथि के पुत्र का नाम निषध था। निषध के पुत्र नल हुए। नल के पुत्र नभस हुए। नभस के पुत्र का नाम पुण्डरीक था। पुण्डरीक के क्षेमधन्वा नामक पुत्र हुए। क्षेमधन्वा के देवानीक हुए। देवानीक के अहीनगर हुए। अहीनर के पुत्र का नाम रूप था। रूप के रुरु नामक पुत्र हुए। रुरु के पारियात्र नामक पुत्र हुए। पारियात्र के पुत्र का नाम दल था। दल के पुत्र शल हुए। शल के पुत्र का नाम उक्थ था। उक्थ के वज्रनाभ नामक पुत्र हुए। वज्रनाभ से शंखनाभ हुए। शंखनाभ के व्यथिताश्व नामक पुत्र हुए। व्यथिताश्व से विश्वसह हुए। विश्वसह के पुत्र का नाम हिरण्यनाभ था। हिरण्यनाभ से पुष्य हुए। पुष्य से ध्रुवसन्धि का जन्म हुआ। ध्रुवसन्धि से सुदर्शन हुए। सुदर्शन के पुत्र अग्निवर्णा थे। अग्निवर्णा से शीघ्र नामक पुत्र हुए। शीघ्र से मुरु हुए। मरु से प्रसुश्रुत हुए। प्रसुश्रुत के पुत्र का नाम सुगन्धि था। सुगवि से अमर्ष नामक पुत्र हुए। अमर्ष से महास्वन हुए। महास्वन से विश्रुतावन्त हुए। विश्रुतावन्त के पुत्र का नाम बृहदबल था।
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महाभारत युद्ध में प्रभु श्रीराम जी के जिस वंशज ने भाग लिया था, उनका नाम था बृहदबल। ये श्रीराम जी के ज्येष्ठ पुत्र कुश के वंश में श्रीराम से 32वीं पीढ़ी में जन्मे थे। ये कोसल साम्राज्य के सबसे प्रतापी सम्राटों में से एक माने जाते हैं।
युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के समय पूर्व दिशा में अपनी दिग्विजय यात्रा के दौरान भीम ने इन्हे परास्त किया था। बाद में दुर्योधन के वैष्णव यज्ञ के दौरान कर्ण ने अपने दिग्विजय में इन्हे परास्त किया। सुनने में ये थोड़ा अजीब लगता है किन्तु श्रीराम के इस वंशज ने युद्ध में पांडवों का नहीं बल्कि कौरवों का साथ दिया था। युद्ध के 13वें दिन अभिमन्यु के हाथों ये वीरगति को प्राप्त हुए।
उनकी मृत्यु के पश्चात उनके पुत्र बृहत्क्षण ने कोसल राज्य की गद्दी संभाली। हालाँकि कही कही ऐसा वर्णन है कि महाभारत काल तक कोसल प्रदेश उतना शक्तिशाली नहीं रहा और पांच भागों में बंट गया। इन्ही में से एक “दक्षिण कोसल” के राजा बृहदबल थे जो बाद में बृहत्क्षण को मिला।
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